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श्रमण सूक्त Dom
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अबले जह भारवाहए
मा मग्गे विसमेऽवगाहिया। पच्छा पच्छाणुतावए समय गोयम । मा पमायए।।
(उत्त १०
३३)
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बलहीन भारवाहक की भांति तू विषय-मार्ग मे मत चले जाना। विषय-मार्ग में जाने वाले को पछतावा होता है, इसलिए हे गौतम | तू क्षण भर भी प्रमाद मत कर।
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