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श्रमण सूक्त
श्रमण सूक्त
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अजय भुजमाणो उ
पाणभूयाइ हिसई। बधई पावय कम्म त से होई कडुय फल||
(दस ४
५)
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अयतनापूर्वक भोजन करने वाला अमण बस और स्थावर जीवो की हिंसा करता है। उससे पाप-कर्म का वध होता है। वह उसके लिए कटु फल वाला होता है।
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