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श्रमण सूक्त
अमण सूक्त
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नक्खत्त सुमिण जोग
निमित्त मत भेसज। गिहिणो त न आइक्खे भूयाहिगरण पय।।
(दस ८ ५०)
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नक्षत्र, स्वप्नफल, वशीकरण, निमित्त, मन्त्र और भेषज-ये जीवो की हिंसा के स्थान हैं, इसलिए मुनि गृहस्थो को इनके फलाफल न बताए।
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