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प्रकाशकीय
'मण्डल'से अबतक हमने काफी संत-साहित्य प्रकाशित किया है। संतसुधा-सार, संत-वाणी, बुद्ध-वाणी, तामिलवेद, तुकाराम-गाथा-सार, सूफीसंत-चरित प्रादि-आदि पुस्तकें 'मण्डल' से निकली हैं और उन्हें पाठकोंने बहुत पसन्द किया है।
प्रस्तुत पुस्तक उसी शृंखलाकी एक महत्त्वपूर्ण कड़ी है । कर्नाटकमें वीर शैव संतोंके वचन-साहित्यका बड़ा महत्त्व है। वहांके लोक-जीवनमें उसका गहरा स्थान है । हमें बड़ी प्रसन्नता है कि इस पुस्तक द्वारा उस आध्यात्मिक निधिका भावानुवाद हिन्दीके पाठकोंके लिए सुलभ हो रहा है । विद्वान लेखकने विस्तारसे 'वचन-साहित्य'का परिचय देकर पुस्तककी उपयोगिताको कई गुना बढ़ा दिया है। दक्षिण भारतके पाठक तो उससे भली-भांति परिचित हैं ही, उत्तर भारतके पाठकोंको भी इसे पढ़कर उसकी अच्छी जानकारी हो जायगी। ___ आशा है, पाठक इस पुस्तकका गम्भीरतापूर्वक अध्ययन एवं स्वाध्याय करके इससे लाभान्वित होंगे ।
--मंत्री