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________________ • अर्जयस्व हुवीकेशं यदीच्छसि परं पदम् . [ संक्षिप्त पद्मपुराण भी शान्त करनेवाले हैं, उन भगवान् चन्द्रशेखरकी मैं मस्तक झुकाकर प्रणाम करता हूँ। मृत्यु मेरा क्या शरण लेता हूँ। यमराज मेरा क्या करेगा? कर लेगी? । । जो यक्षराज कुबेरके सखा, भग देवताकी आँख - जिनके गलेमें काला दाग है, जो कलामूर्ति, फोड़नेवाले और सोंके आभूषण धारण करनेवाले हैं, कालाग्रिस्वरूप और कालके नाशक हैं, उन भगवान् जिनके श्रीविग्रहके सुन्दर वामभागको गिरिराजकिशोरी शिवको मैं मस्तक झुकाकर प्रणाम करता हूँ। मृत्यु मेरा उमाने सुशोभित कर रखा है, कालकूट विष पीनेके क्या कर लेगी? कारण जिनका कण्ठभाग नीले रंगका दिखायी देता है, जिनका कण्ठ नील और नेत्र विकराल होते हुए भी जो एक हाथमें फरसा और दूसरेमें मृग लिये रहते हैं, उन जो अत्यन्त निर्मल और उपद्रवरहित है, उन भगवान् भगवान् चन्द्रशेखरकी मैं शरण लेता हूँ। यमराज मेरा शिवको मैं मस्तक झुकाकर प्रणाम करता हूँ। मृत्यु मेरा क्या करेगा? क्या कर लेगी? - जो जन्म-मरणके रोगसे अस्त पुरुषोंके लिये जो वामदेव, महादेव, विश्वनाथ और जगद्गुरु नाम औषधरूप हैं, समस्त आपत्तियोंका निवारण और धारण करते हैं, उन भगवान् शिवको मैं मस्तक झुकाकर दक्ष-यज्ञका विनाश करनेवाले हैं, सत्त्व आदि तीनों गुण प्रणाम करता हूँ। मृत्यु मेरा क्या कर लेगी? जिनके स्वरूप हैं, जो तीन नेत्र धारण करते, भोग और जो देवताओंके भी आराध्यदेव, जगत्के स्वामी मोक्षरूपी फल देते तथा सम्पूर्ण पापराशिका संहार करते और देवताओंपर भी शासन करनेवाले हैं, जिनकी है, उन भगवान् चन्द्रशेखरकी मैं शरण लेता हूँ। यमराज ध्वजापर वृषभका चिह्न बना हुआ है, उन भगवान् मेरा क्या करेगा? . शिवको मैं मस्तक झुकाकर प्रणाम करता हूँ। मृत्यु मेरा के जो भक्तोंपर दया करनेवाले हैं, अपनी पूजा क्या कर लेगी? करनेवाले मनुष्यों के लिये अक्षय निधि होते हुए भी जो जो अनन्त, अविकारी, शान्त, रुद्राक्षमालाधारी स्वयं दिगम्बर रहते हैं, जो सब भूतोंके स्वामी, परात्पर, और सबके दुःखोंका हरण करनेवाले हैं, उन भगवान् अप्रमेय और उपमारहित हैं, पृथ्वी, जल, आकाश, अग्नि शिवको मैं मस्तक झुकाकर प्रणाम करता हूँ। मृत्यु मेरा और चन्द्रमाके द्वारा जिनका श्रीविग्रह सुरक्षित है, उन क्या कर लेगी? . भगवान् चन्द्रशेखरकी मैं शरण लेता हूँ। यमराज मेरा जो परमानन्दस्वरूप, नित्य एवं कैवल्यपदक्या करेगा? मोक्षकी प्राप्तिके कारण है, उन भगवान् शिवको मैं मस्तक - जो ब्रह्मारूपसे सम्पूर्ण विश्वकी सृष्टि करते, फिर झुकाकर प्रणाम करता हूँ। मृत्यु मेरा क्या कर लेगी? विष्णुरूपसे सबके पालनमें संलग्न रहते और अन्तमें सारे जो स्वर्ग और मोक्षके दाता तथा सृष्टि, पालन और प्रपञ्चका संहार करते हैं, सम्पूर्ण लोकोंमें जिनका निवास संहारके कर्ता हैं, उन भगवान् शिवको मै मस्तक है तथा जो गणेशजीके पार्षदोंसे घिरकर दिन-रात भाँति- झुकाकर प्रणाम करता हूँ। मृत्यु मेरा क्या कर लेगी? भाँतिके खेल किया करते हैं, उन भगवान् चन्द्रशेखरकी वसिष्ठजी कहते हैं-मार्कण्डेयजीके द्वारा किये मैं शरण लेता हूँ। यमराज मेरा क्या करेगा? हुए इस स्तोत्रका जो भगवान् शङ्करके समीप पाठ करेगा, रु अर्थात् दुःखको दूर करनेके कारण जिन्हें रुद्र उसे मृत्युसे भय नहीं होगा-यह मैं सत्य-सत्य कहता कहते हैं, जो जीवरूपी पशुओका पालन करनेसे हूँ। बुद्धिमान् मार्कण्डेयके इस प्रकार स्तुति करनेपर पशुपति, स्थिर होनेसे स्थाणु, गलेमें नीला चिह्न धारण महादेवजीने उन्हें अनेक कल्पोतककी असीम आयु करनेसे नीलकण्ठ और भगवती उमाके स्वामी होनेसे प्रदान की। इस प्रकार देवाधिदेव महादेवजीके प्रसादसे उमापति नाम धारण करते हैं, उन भगवान् शिवको मैं अमरत्व पाकर महातेजस्वी मार्कण्डेयने बहुत-से प्रलयके
SR No.034102
Book TitleSankshipta Padma Puran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages1001
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size73 MB
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