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तपस्या
इस प्रकार उन्हें कठोर श्रम करते हुए देखकर स्वामी ने उन ग्रन्यो का पूण पारायण किया और उनकी शिक्षा का सक्षिप्त सार पलानीस्वामी के सम्मुख प्रस्तुत कर दिया। अपने पूर्व आध्यात्मिक ज्ञान के कारण वह एक ही दृष्टि मे ग्राथ के गूढ तथ्यो को समझ जाते थे और अपनी आश्चयजनक स्मरणशक्ति के कारण वह जो कुछ पढते थे, उन्हें कण्ठस्थ हो जता था, इसलिए वह विना किसी प्रयास के पण्डित वन गये। इसी प्रकार उन्होने बाद मे मस्कृत, तेलुगु और मलयालम मे लिखी हुई पुस्तको के अध्ययन से और इन भाषाओ मे प्रश्नो के उत्तर देकर उपरोक्त भाषाओ का ज्ञान प्राप्त किया ।