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________________ माध्यम से जुड़ना पड़ता है लेकिन मेरा पूरा जोर इसी बात पर है कि तुम्हारी वास्तविकता तुम्हें ठीक अभी, यहीं उपलब्ध है। यह तो बस तुम्हारे भीतर है। इस तक पहुंचने के लिए पथ की आवश्यकता नहीं है। वास्तव में यदि तुम सारे रास्तों को छोड़ दो, तब अचानक तुम स्वयं को लक्ष्य पर खड़ा हुआ पाओगे। तुम जितने अधिक रास्तों पर चलते हो, उतना ही तुम स्वयं से दूर हो जाते हो। रास्ते भटकाते हैं, दिग्भ्रमित करते हैं, क्योंकि तुम पहले से ही वह हो जिसको तुम खोज रहे हो। इसलिए रास्तों की आवश्यकता नहीं है, किंतु तुम्हारा प्रशिक्षण इसी भांति सोचने के लिए हुआ है, तब मैं कहूंगा कि मेरा उपाय नितांत विपरीत है। स्टीनर कहता है, उचित ढंग से विचार करना, और मैं कहता उचित हो या अनुचित, विचार करते रहना ही गलत है। विचार करना गलत है; निर्विचार होना सही है। 'क्या आप कृपा करके मुझको सलाह दे सकते हैं? एक प्रकार से मैं तो आपके और उस उपाय के बीच जो स्टीनर दिखाता है, बंट गया नहीं, तुमको कुछ दिनों के लिए तनाव की अवस्था में रहना पड़ेगा। मैं कोई सलाह नहीं दूंगा और कोई सहायता भी नहीं करूंगा। क्योंकि यदि मैं सलाह देता हूं और मैं तुम्हारी सहायता करता हूं तो तुम मेरी ओर आ सकते हो और मेरी ओर झुक सकते हो; लेकिन यह अपरिपक्वता हो सकती है। इसके पहले कि तुम मेरे पास आ सको तुमको स्टीनर से जम कर संघर्ष करना पड़ेगा, और वह स्टीनर निश्चित रूप से तुमको कड़ी टक्कर देगा। तुमको वह इतनी आसानी से छोड़ने वाला नहीं है और मैं तुम्हारी कोई सहायता नहीं करने वाला हूं ताकि तुम अपने आप से आ सको केवल तभी तुम मेरे पास तक आते हो, जब तुम अपने आप से आते हो। जब कोई फल पक जाता है तो यह स्वत: ही गिर पड़ता है। नहीं, मैं इस फल पर जरा सी ककड़ी तक नहीं मारूंगा, क्योंकि हो सकता है कि फल न पका हो और ककड़ी इसे नीचे गिरा दे... और इस तरह अधपके फल का नीचे गिर जाना यह एक आपदा बन जाएगा। तुम अपने मन की बंटी हुई अवस्था में बने रहोगे। तुमको निर्णय लेना पड़ेगा, क्योंकि कोई भी लंबे समय तक मन की बंटी हुई अवस्था में नहीं रह सकता। एक बिंदु ऐसा आता है जब व्यक्ति को निर्णय लेना पड़ता है। और यदि मैं तुम्हारी सहायता करता हूं तो यह रूडोल्फ स्टीनर के प्रति न्याय नहीं होगा। उसका देहावसान हो चुका है, वह मेरे साथ संघर्ष नहीं कर सकता। उसकी तुलना में मेरे लिए तुमको अपनी ओर खींचना अधिक सरल है। इसलिए उसके प्रति भी न्याय करने के लिए यही बेहतर है कि मैं इसे तुम पर छोड़ दूं। तुम तो बस उससे संघर्ष करते रहो या तुम मुझको छोड़ दोगे.... वह भी एक उपलब्धि होगी, क्योंकि फिर तुम रुडोल्फ स्टीनर का और समग्रता से अनुगमन कर पाओगे। लेकिन मैं नहीं सोचता कि यह अभी संभव है.. मेरे संक्रमण का विष तुम्हारे भीतर प्रविष्ट हो चुका है। अब यह बस कुछ समय की बात रह गई है।
SR No.034099
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages471
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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