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पतंजलि का पहला सूत्र बस यह कह रहा है कि योगी को जो कुछ भी उपलब्ध होता है उसमें नया कुछ भी नहीं है। यह किसी खोई हुई चीज की पुन: प्राप्ति है। वह एक स्मरण है। यही कारण है भारत में जब कोई समाधि को उपलब्ध हो जाता है तो हम इसे दूसरा जन्म कहते हैं, उसका पुनर्जन्म होता है। उसको हम विज, दुबारा जन्मा, कहते हैं। एक जन्म अचेतन में हआ था, पहला जन्म, दसरा जन्म सचेतन होता है। व्यक्ति ने पीड़ा भोगी है, वह भटका है और वापस घर लौट आया है। जब आदम वापस लौटता है तो वह जीसस हो चुका होता है। हर जीसस को घर से बहुत दूर जाना पड़ता है, तब वह आदम है। जब आदम वापसी की यात्रा आरंभ करता है, वह जीसस है। आदम पहला आदमी
और जीसस अंतिम व्यक्ति हैं। आदम आरंभ है, आदि है (अल्फा) और जीसस समापन हैं, अंत हैं (ओमेगा) और वर्तुल पूर्ण हो जाता है।
'सिदधियां जन्म पर प्रकट होती हैं,.......'
तब 'संसार' उत्पन्न होता है; जिसे हिंदुओं ने माया कहा है। इसे भ्रम, जादू के रूप में अनुवादित किया जाता रहा है, लेकिन इसे अनुवादित करने का सर्वोत्तम उपाय है-इसे सम्मोहन कहा जाए। तब सम्मोहन उत्पन्न होता है। चारों ओर हजारों तरह के सम्मोहन हैं, यहां पर उसे सिखाया जा रहा है कि वह हिंदू है-अब यह सम्मोहन है; उसको सिखाया जा रहा है कि वह ईसाई है-अब यह एक सम्मोहन है। अब उसका मन संस्कारित और संकुचित कर दिया जा रहा है। वह मुसलमान है-यह एक सम्मोहन है। फिर उसको सिखाया जाता है कि वह स्त्री या पुरुष है-यह एक सम्मोहन है।
तुम्हारा नब्बे प्रतिशत पुरुषत्व या स्त्रीत्व मात्र एक सम्मोहन है, इसका तुम्हारी जैविक संरचना से कुछ भी लेना-देना नहीं है। स्त्री और पुरुष के मध्य जैवशास्त्रीय भेद बहुत साधारण है, लेकिन मनोवैज्ञानिक अंतर बहुत जटिल और उलझा हुआ है। तुम्हें छोटे बालकों को बालक होने और छोटी बालिकाओं को बालिका होने के लिए शिक्षित करना पड़ता है, और तुम उन्हें विभाजित कर देते हो। तुम उनके मन में एक उद्देश्य पैदा कर देते हो। बालिकाओं को सुंदर स्त्रियां बन जानी है और बालकों को बहुत ताकतवर पुरुष बनना है। बालिकाओं को तो बस गृहस्थिनें, गृहिणियां, माताएं बन कर घर में ही सिमट जाना है और बालको को संसार में महान अभियान-धन, शक्ति, प्रतिष्ठा, महत्वाकांक्षा के पथ पर अग्रसर हो जाना है। उनके भीतर तुम भिन्न उद्देश्य उत्पन्न कर देते हो।
विभिन्न समाजों में अलग-अलग संस्कार दे दिए जाते हैं। ऐसे भी समाज हैं जो मातृसत्तात्मक हैं, स्त्री का वहां वर्चस्व है। तब तुम वहां एक अविश्वसनीय सच्चाई देखोगे : जब भी कहीं एक ऐसा समाज होता है जिसमें स्त्री का प्रभुत्व है, वहां पुरुष कमजोर हो जाता है और स्त्री शक्तिशाली हो जाती है। वह बाहर के सभी काम सम्हाल लेती है और पुरुष बस घर की देखभाल करता है।