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खलील जिब्रान की श्रेष्ठ कृति 'दि प्रॉफेट' में एक स्त्री मसीहा अलमुस्तफा से पूछती है, हमें हमारे बच्चों के बारे में कुछ बताइए, और अलमुस्तफा कहता है, वे तुम्हारे द्वारा आते है, लेकिन तुम्हारे नहीं हैं, उनको प्रेम करो, किंतु अपने विचार उन पर आरोपित मत करो। उन्हें प्रेम करो, क्योंकि प्रेम स्वतंत्रता देता है, लेकिन उन पर मालकियत मत करो।
तुम्हारा अंतर्तम केंद्र किसी से संबद्ध नहीं है, इस पर किसी की मालकियत नहीं है। यह कोई वस्तु नहीं है, इस पर मालकियत नहीं की जा सकती। तुम्हारी देह पर मालकियत की जा सकती है, तुम्हारे मन पर भी मालकियत की जा सकती है।
जब तुम मुसलमान हो जाते हो, तो तुम्हारे मन पर लोगों की मालकियत हो जाती है, जो स्वयं को मुसलमान कहते हैं। जब तुम हिंदू हो जाते हो, तुम्हारा मन उन लोगों द्वारा अधिकृत कर लिया जाता है, जो स्वयं को हिंदू कहते हैं। जब तुम साम्यवादी हो जाते हो, तुम पर दास कैपिटल, का कब्जा हो जाता है। जब तुम ईसाई बन जाते हो तुम पर बाइबिल का स्वामित्व होता है। जब तुम स्वयं को देह के रूप में सोचते हो, तो तुम स्वयं काले या गोरे की भांति सोच लेते हो।
तुम्हारा अंतर्तम केंद्र न ईसाई है, न हिंदू तुम्हारा अंतर्तम केंद्र न तो गोरा है, न काला, तुम्हारा अंतर्तम केंद्र न तो साम्यवादी है और न ही गैर-साम्यवादी। तुम्हारा अंतर्तम केंद्र शरीर और मन से नितांत अलग रहता है। यह शरीर से परे है और मन से उच्चतर है। मन इसे छू नहीं सकता, शरीर इस तक पहुंच नहीं सकता।
महर्षि गौतम ने सत्यकाम जाबाल को क्यों स्वीकार कर लिया? वह सच्चा था। वह धोखा दे सकता था, उसका भटक जाना आसान था। इस संसार में लोगों से कहते फिरना, मैं नहीं जानता, मेरा पिता कौन है, अत्यंत अपमान जनक है। और मां भी सच्ची थी। बच्चे को धोखा दे देना आसान है, क्योंकि
च्चे के पास यह खोजने का कोई साधन नहीं है कि तुम उसे धोखा दे रही हो या नहीं। जब कोई बच्चा अपनी मां से पूछता है, संसार को किसने बनाया? तो मां के लिए यह कह देना बहुत सरल है, ईश्वर ने संसार को बनाया-बिना इस बात को जरा भी जाने कि वह क्या कह रही है।
यही इस बात का मूलभूत कारण है कि बच्चे जब बड़े हो जाते हैं तो वे अपने मां-बाप के करीबकरीब विरोधी क्यों हो जाते हैं; वे उनको कभी क्षमा नहीं कर सकते, क्योंकि मां-बाप ने बहुत अधिक झूठ बोला है। उन्होंने बच्चों की नजर में अपनी सारी इज्जत खो दी है। माता-पिता कहे चले जाते हैं, क्यों? हमने तुमको प्रेम किया। हमने तुमको बड़ा किया। हम जो सर्वश्रेष्ठ कर सकते थे, वह हमने किया। बच्चे हमारा सम्मान क्यों नहीं करते? तुमने अपने असत्यों के कारण अवसर खो दिया है। एक बार बच्चा खोज लेता है कि माता और पिता असत्य बोल रहे हैं, सारा सम्मान खो जाता है। एक छोटे असहाय बच्चे से धोखा? उन बातों को कहना जिनके बारे में तुम्हें कुछ भी पता नहीं?