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अवसर है। इसे जीयो, साहस करो, खतरे में उतरो, जोखिम लो और तब तुम्हें धार्मिक समझ का एक नितांत भिन्न आयाम उपलब्ध हो जाएगा, जो जीवन के खट्टे और मीठे अनुभवों से आता है।
एक व्यक्ति जिसने केवल मधुर अनुभवों को जाना है और कभी भी कटु अनुभवों को नहीं जाना, अभी मनुष्य कहने योग्य नहीं है, वह अभी भी निर्धन है, धनी नहीं। वह व्यक्ति जिसने प्रेम, इसका सौंदर्य और इसका डर नहीं जाना है; वह व्यक्ति जिसने प्रेम, इसका आनंद और इसका संताप नहीं जाना है; वह व्यक्ति जिसने मिलन को और विरह को भी जाना है; एक व्यक्ति जिसने आगमन को और प्रस्थान को भी जान लिया, उसने कुछ जान लिया है। वह जो कमजोरी से जीया है, आज नहीं ता कल बीमार पड़ जाएगा और ऊब जाएगा और बोर हो जाएगा।
जीवन एक परम चुनौती है।
इसलिए यदि तुम कहते हो : 'व्यक्ति को अपने जीवन के शेष वर्षों में बस जीते रहना है।'
फिर ये शेष वर्ष जीवन के नहीं होंगे। तुम अपनी मृत्यु से पूर्व मर चुके होओगे।
मैंने सुना है, एक सुंदर स्त्री स्वर्ग के स्वर्णिम द्वार पर पहुंची। सेंट पीटर भी उसको देख कर कांप उठे। वह स्त्री वास्तव में सुंदर थी, सेंट पीटर भी उसकी आंखों में आंख डाल कर न देख सके। उन्होंने उसकी फाइलें देखना आरंभ कर दी और उन्होंने कहा : तुम कहां रही हो? तुम क्या करती रही हो? क्या तुम पृथ्वी पर कोई पाप किया था?
उस स्त्री ने कहा : नहीं, कभी नहीं।
सेंट पीटर को विश्वास नहीं हुआ। क्या तुम्हारा विवाह हुआ था?
उसने कहा. नहीं, मैं सेक्स में कभी उत्सुक नहीं रही।
क्या तुम कभी किसी पुरुष के साथ रही हो? वह बोली : नहीं, मैं कुंआरी हूं।
और इसी प्रकार प्रश्नोत्तर होते रहे। सेंट पीटर ने सारे अभिलेख देख लिए, वे सभी कोरे थे। उसने कोई पाप नहीं किया था, लेकिन यदि तुमने कोई पाप न किया हो तो तुम कुछ पवित्र कार्य कैसे कर सकोगे? वे चिंतित हो गए।
उस स्त्री ने पूछा : क्या बात है? मैं एक पवित्र स्त्री हं।