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सारे लोग कहते हैं कि यह रही तुम्हारी समस्या, और इसे बिलकुल ठीक से बता दें, और इसे इंगित करें, और तुम्हारे घाव पर अपनी अंगुलियां रख दें और यह दुखने लगे...। तुम्हे सचेत कर पाना, व्यक्ति से व्यक्ति के सम्पर्क द्वारा बहुत कठिन है क्योंकि तुम सोच सकते हो कि यह व्यक्ति गलत हो सकता है, लेकिन बीस लोग? बीस लोगों के गलत होने की संभावना कम है, और तुम्हें वापस अपने पर लौट कर इस बात को देखना पड़ता है।
यही कारण है कि बुद्ध ने एक बड़े संघ का भिक्षुओं के बड़े वर्ग का दस हजार भिक्षु निर्माण किया । समूह मनोचिकित्सा का यह पहला प्रयोग श्र। यह एक महत् प्रयोग था ।
यही तो मैं कर रहा हूं। सोलह हजार सन्यासी - मनोचिकित्सा का एक महानतम प्रयोग। एक समुदाय, एक कम्यून, जिसमें तुम्हें बोधपूर्ण होस ही पड़ेगा वरना तुम इस कम्यून के हिस्से नहीं होगे, यहां हर कोई तुम्हारी गलती को देख रहा है, समझ रहा है और तुम्हें इसे दिखा रहा है। क्योंकि संन्यासी औपचारिक या विनम्र होने के लिए नहीं बने हैं। वह बकवास जरा भी नहीं यहां पर संन्यासी स्वयं को रूपांतरित करने के लिए और दूसरों के रूपांतरण के लिए परिस्थिति निर्मित करने के लिए है।
देखो, जब भी कोई तुम्हारे बारे में कोई दोष इंगित करे तो क्रोधित मत हो जाओ। इससे तुम्हें कोई मदद नहीं मिलने वाली है पागल मत बनो। इससे तुम्हारी कोई सहायता नहीं होगी। इस बात को देखने की कोशिश करो। दूसरा सही भी हो सकता है, और दूसरे के सही होने की संभावना अधिक है क्योंकि वह तुमसे इतना अलग है, वह तुमसे काफी दूर है। वह तुम्हारे साथ संयुक्त नहीं है। सदैव लोगों की बात सुनो कि वे तुम्हारे बारे में क्या कह रहे हैं। निन्यानबे प्रतिशत तो वे सही होंगे, उनके गलत होने की संभावना मात्र एक प्रतिशत है। वरना वे गलत नहीं है। वे गलत कैसे हो सकते हैं क्योंकि उनके पास तुम्हारे बारे में अनासक्त दृष्टिकोण है।
यही कारण है कि तुम्हारे घावों को दर्शाने के लिए सदगुरु की आवश्यकता होती है। और यह केवल तभी संभव है जब तुम्हारे भीतर गहरा सम्मान और श्रद्धा हो यदि तुम क्रोधित हो जाओ और तुम संघर्ष करना आरंभ कर दो, तो तुम्हारे भीतर कोई सम्मान और श्रद्धा नहीं है। यदि यहां पर तुम अपनी रुग्णता और बीमारियों का बचाव करने के लिए हो, तो यह तुम्हारे लिए नहीं है - यहां मत ठहरो । यहां पर अपना समय नष्ट करने में क्या सार है?
यदि मैं कहता हूं कि तुम कायर हो और तुम इस बात को देख नहीं सकते बल्कि तुम संघर्ष करो और मेरे सामने यह सिद्ध करो कि तुम कायर नहीं हो, तब सीधी बात यह है कि यहां पर रुकने में कोई सार नहीं। मेरे साथ संबंध समाप्त हो गया है। अब तुम्हारे लिए मैं सहायक नहीं हो सकता हूं। जब मैं तुमसे कोई बात कहता हूं तो तुम्हें उस तथ्य में देखना पड़ेगा। मैं तुम्हें क्यों कायर कहूंगा? तुम्हारे साथ मेरा कोई लेन-देन नहीं है और तुम्हारे कायरपन में भी मेरा कुछ नहीं जा रहा है। मैं