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क्या इस विधि के द्वारा मैं आपके समग्र अस्तित्व को आत्मसात कर सकता हूं? क्या मैं आपकी समग्रता को अपने में संपूर्णतया उतार सकता हूं?
कृपया आप मुझे अपने आशीष दें ( चाहें तो आप शब्दों में उत्तर न भी दें।)
मैं कभी भी केवल शाब्दिक उत्तर नहीं देता हूं। जब कभी मैं उत्तर देता हूं तो वह उत्तर दवि
आयामी होता है। वह एकसाथ दो धरातलों पर चलता है। एक तो शाब्दिक आयाम वह उनके लिए होता है जो किसी दूसरे आयाम को समझ नहीं सकते हैं - वह बहरे, अंधे और जड़ लोगों के लिए होता है। फिर उसके साथ ही एक दूसरा आयाम भी है, जो शब्दों का संप्रेषण नहीं है, जो मौन संप्रेषण है वह उन लोगों के लिए है जो सुन सकते हैं, जो देख सकते हैं, जो जीवंत हैं।
और तुम मेरे आशीषों की माग कभी मत करना, क्योंकि वे तो हमेशा बरस ही रहे हैं, चाहे तुम उन्हें मांगों या न मांगो। चाहे तुम मेरे साथ सहयोग करो या नहीं, चाहे तुम मेरे पक्ष में रहो या विपक्ष में, इससे मेरे आशीषों में कोई अंतर नहीं पड़ता। मेरे आशीष कोई मेरा कृत्य नहीं है। वह तो बस श्वास की भांति हैं, जैसे श्वास हमेशा चलती रहती है, ऐसे ही मेरे आशीष हमेशा बरसते रहते हैं। अगर तुम अनुभव कर सको तो तुम सदा उन्हें पाओगे। मैं यहां पर तुम्हारे बीच अपने आशीष के रूप में ही विद्यमान हूं।
और तुम्हारा ठीक विधि से साक्षात्कार हो गया है.
"ध्यान के दौरान मैं आपकी शून्यता को पुकारता रहता हूं ताकि वह मुझमें उतर जाए और मुझे लगता है कि धीरे धीरे आपकी शून्यता मेरे रोएं रोएं में समा जाती है क्या इस विधि के द्वारा मैं आपके समग्र अस्तित्व को आत्मसात कर सकता हूं?'
हां, पूरी तरह से आत्मसात कर सकते हो। इसी भांति चलते चलो। बस भयभीत मत होना, क्योंकि देर अबेर जब शून्यता तुम्हें घेरेगी तो तुमको भय लगेगा- क्योंकि शून्यता का अर्थ होता है मृत्यु । शून्यता का अर्थ है तिरोहित हो जाना, खो जाना । और इससे पहले कि तुम्हारी वास्तविकता तुम्हारे सामने प्रकट हो, तुम्हें पूरी तरह अनुपस्थित हो जाना होगा। इससे पहले कि तुम अपनी वास्तविकता को अनुभव कर सको, तुम्हें अपना होना मिटाना होगा। इससे पहले कि तुम अपने अस्तित्व की परिपूर्णता को अनुभव कर सको, तुम्हें बिलकुल खाली हो जाना होगा। उन दोनों के बीच में एक अंतराल आता है- जब तुम पूरी तरह से खाली हो जाते हो, रिक्त हो जाते हो, शून्य हो जाते हो। वहां पर एक छोटा सा अंतराल आता है, और वही अंतराल मृत्यु जैसा होता है। तुम तो जा चुके होते हो
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