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लेकिन आधुनिक मनुष्य का मन बहुत जल्दी में है। आखिर क्यों जल्दी में है? जल्दी किस बात की है? आज का मनुष्य इसलिए जल्दी में है क्योंकि आधुनिक मन बहुत ज्यादा अहंकार-केंद्रित है। उसी अहंकार से यह जल्दी आती है। अहंकार को हमेशा मृत्यु का भय रहता है -और उसका यह भय स्वाभाविक भी है, क्योंकि अंततः मृत्यु तो अहंकार की ही होती है। कोई भी उसे नहीं बचा सकता है। कुछ समय तक अहंकार को बचाया जा सकता है, लेकिन कोई भी अहंकार को हमेशा के लिए तो नहीं बचा सकता है। अंततः एक दिन अहंकार की मृत्यु होगी ही। क्योंकि इस विराट अस्तित्व से पृथक होने की मृत्यु तो होगी ही। और जितना अधिक हम इस विराट अस्तित्व से अलग और पृथक महसूस करते हैं, उतने ही अधिक हम मृत्यु से भयभीत होते जाते हैं। अपने को अस्तित्व से पृथक मानने के कारण मृत्यु का भय सताता है। और जितने अधिक हम अस्तित्व से अलग – थलग होते जाते हैं, उतनी ही अधिक चिंताओं, परेशानियों और भय से घिरते चले जाते हैं।
पूरब में लोग अभी भी इतने अधिक एक -दूसरे से पृथक नहीं हैं, जहां लोग अभी भी आदिम अवस्था में हैं, जहां लोग अभी भी समूह का हिस्सा हैं, जहां व्यक्ति अकेला नहीं है. वे लोग किसी जल्दी में नहीं हैं। वे जीवन को बहुत ही आराम से धीरे -धीरे और आनंद से जीते हैं। वे हर काम धीरे – धीरे करते हैं, किसी प्रकार की कोई जल्दबाजी उन्हें नहीं रहती, वे जीवन की यात्रा का परी तरह से.
लेते हैं।
पश्चिम में जहां कि अहंकार का जोर है और हर व्यक्ति अपने आप में सिकुड़कर अकेला होता जा रहा है : वहां पर लोगों में अधिक चिंता, परेशानी, मानसिक बीमारियां हैं, मृत्यु का भय है। जितना अधिक आदमी अकेला और पृथक होता जाता है, उतना ही अधिक वह अपने को मृत्यु के निकट अनुभव करता है। क्योंकि जितना आदमी अकेला अस्तित्व से, प्रकृति से पृथक और अलग होता जाता है, उसी अनुपात में उसकी मृत्यु घटित होती है, क्योंकि मृत्यु तो केवल व्यक्ति के अहंकार की ही होती है। आदमी के भीतर जो सर्वव्यापी-तत्व है, वह फिर भी जीवित रहता है, उसकी मृत्यु नहीं होती, वह मर नहीं सकता। वह तो जन्म से पहले भी मौजूद था और मृत्यु ३ बाद भी मौजूद रहेगा।
मैंने एक बहुत सुंदर कथा सुनी है
एक डींग हाकने वाले आदमी ने कहा, 'ही, मेरे परिवार की वंश-परंपरा को मेफ्लावर तक खोजा जा सकता है।
उसके मित्र ने कटाक्ष करते हुए कहा, 'मुझे लगता है, अब आगे तुम हमें यह बताओगे कि तुम्हारे पूर्वज नूह के साथ नाव में थे।'
उसने कहा, 'निश्चित ही ऐसा नहीं था, क्योंकि मेरे पूर्वजों की अपनी नाव थी।'