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नदी के किनारे जाकर मछलियों को आवाज लगाते, बहनो, और हजारों मछलियां नदी के भीतर से सिर ऊपर निकालकर फ्रांसिस की बातें सुनने लगती थीं। और ये वे विवरण हैं, जिनके साक्षी बहुत से लोग हैं बहुत से लोगों ने फ्रांसिस को इस तरह से पशु -पक्षियों से बातें करते हुए देखा था। लुकमान, जिसने यूनानी चिकित्सा शास्त्र की आधारशिला रखी, उसके विषय में कहा जाता है कि वह वृक्षों के पास चला जाता और वृक्षों से उनकी विशेषताओं, उनके गुणों के बारे में पूछता 'सर, आपका उपयोग कौन से रोग के लिए किया जा सकता है?' और वृक्ष उत्तर देते थे। सच तो यह है कि लुकमान ने इतनी दवाइयों के नाम और विवरण बताए हैं कि आधुनिक वैज्ञानिक चकित हैं, क्योंकि उस समय दवाइयों के नाम जानने के लिए किसी तरह की कोई प्रयोगशालाएं तो थी नहीं, कोई भी वैज्ञानिक पद्धति तो मौजूद न थी, इसलिए प्रयोग करने की कोई संभावना न थी। केवल अभी कुछ समय से हम वस्तुओं के भीतर छिपे हुए विशिष्ट तत्वों को जानने -समझने में सक्षम हो पा रहे हैं, लेकिन लुकमान उन दवाइयों के बारे में पहले से ही बता चुका है।
पतंजलि कहते हैं, इसमें भी कोई चमत्कार नहीं है। अगर व्यक्ति एकाग्रचित्त होकर अपने ध्यान को केंद्रित कर लेता है तो वह एक हो जाता है, केंद्रित हो जाता है, और तब निर्विचार होकर किसी भी घ्वनि को सुना जा सकता है-तब वह ध्वनि ही अपने भीतर छिपे हए सत्य को उदघाटित कर देती है। और इस ध्वनि को सुनने के लिए भाषा के ज्ञान की आवश्यकता नहीं है, बल्कि केवल व्यक्ति को मौन को समझना आना चाहिए। अगर व्यक्ति भीतर से शांत हो तो मौन को समझ सकता है साधारणत: तो ऐसा होता है कि अगर व्यक्ति को अंग्रेजी भाषा आती है तो अंग्रेजी समझ सकता है, अगर फ्रेंच आती हो तो फ्रेंच समझ सकता है। ठीक ऐसे ही अगर व्यक्ति भीतर से निर्विचार और शांत हो तो मौन को समझ सकता है। और मौन ही इस अस्तित्व की, इस ब्रह्मांड की भाषा है।
इस तरह से एकाग्रता के द्वारा व्यक्ति पूर्णरूपेण शांत और मौन हो जाता है। और उस परम शांत मौन की अवस्था में ही उसके समक्ष सभी कुछ उदघाटित हो जाता है, प्रकट हो जाता है लेकिन इसमें चमत्कार जैसी कोई बात नहीं है।
पतंजलि चमत्कार शब्द को पसंद नहीं करते हैं। पतंजलि शुद्ध वैज्ञानिक हैं। अगर इस अस्तित्व में कुछ घटित होता है, तो उसमें चमत्कार जैसी कोई बात नहीं, उनकी तरफ से यह बात एकदम सीधी - साफ है।
एक दिन मैं मुल्ला नसरुद्दीन के घर गया, तो मुल्ला नसरुद्दीन और उसकी पत्नी रसोईघर में बर्तन साफ कर रहे थे। मैं और नसरुद्दीन का छोटा बेटा फजलू बाहर के कमरे में बैठे टेलीविजन देख रहे थे। कि अचानक जोर से बर्तन गिरने की आवाज आई। मैंने और फजलू ने बर्तन गिरने की आवाज तो सुनी, लेकिन फिर कोई और आवाज सुनाई नहीं पड़ी।
थोड़ी देर बाद फजलू बोला, 'यह मां ही है जिसने बर्तन पटके हैं।'