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मैं थोड़ा हैरान हुआ, मैंने उससे पूछा, 'तुम्हें कैसे पता?'
'क्योंकि वह कुछ और बोली नहीं है।'
जब कुछ कहा नहीं जाता है, तो उसे समझने का एक ढंग होता है- क्योंकि वह न कहना ही कुछ कह देता है। मौन का अर्थ रिक्तता या खालीपन नहीं होता है। मौन के अपने संदेश हैं। क्योंकि व्यक्ति इतना अधिक विचारों से भरा हुआ है कि वह भीतर के उस निःशब्द स्वर को समझ ही नहीं सकता है, सुन ही नहीं सकता है।
कभी जब कोयल बोलती हो तो उसकी आवाज को सुनना, कोयल के गीत को सुनना। पतंजलि कहते हैं, जब सुनो तो इतने ध्यानमग्न हो जाना कि तुम्हारे भीतर चलते हुए विचार तिरोहित हो जाएं तब - उस घड़ी निरोध का आविर्भाव होता है। निरोध कोई धीरे धीरे घटित नहीं होता है. निरोध तो समाधि की भांति बरस जाता है जब कोई विचार बाधा नहीं डालता है, चित में कहीं कोई अशांति नहीं होती है तब एकाग्रता का प्रादुर्भाव होता है। अचानक कोयल को सुनते सुनते उसके साथ एक हो जाते हो, तुम समझते हो कि वह क्यों पुकार रही है, क्योंकि हम सभी एक ही ब्रह्मांड के, एक ही अस्तित्व के हिस्से हैं। कोयल की उस पुकार में उसके हृदय का कोई भाव छिपा हुआ है। अगर तुम मौन हो, शांत हो तुम्हारे चित्त में किसी तरह की कोई हलचल नहीं है तो तुम कोयल की उस पुकार को, उसके हृदय में छिपे हुए भाव को समझ सकोगे ।
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पतंजलि कहते हैं. 'शब्द और अर्थ और उसमें अंतर्निहित विचार, ये सब उलझावपूर्ण स्थिति, मन में एक साथ चले आते हैं। शब्द पर संयम पा लेने से पृथकता घटित होती है और तब किसी भी जीव द्वारा निःसृत ध्वनियों के अर्थ का व्यापक बोध घटित होता है।'
मुल्ला नसरुद्दीन सारी दोपहर नीलामी कक्ष में खड़ा खड़ा चार सौ पचपन नंबर क्रोमियम के पिंजरे में रखे दक्षिण अफ्रीका के तोते को खरीदने की प्रतीक्षा कर रहा था। आखिरकार जब उसका नंबर आया और तोते को बिक्री के लिए लाया गया तो मुल्ला ने उस तोते को खरीद लिया लेकिन मुल्ला ने उस तोते को जितने में खरीदने का सोचा था, उससे कहीं अधिक दामों में वह तोता उसे खरीदना पड़ा। मुल्ला कुछ कर भी नहीं सकता था, क्योंकि मुल्ला की पत्नी उसी तोते को खरीदने के लिए मुल्ला के पीछे पड़ी हुई थी।
जब नीलाम करने वाले का सहायक मुल्ला के पास उसका नाम-पता लेने के लिए आया तो उसने मुल्ला से कहा, 'श्रीमान, आपने अपने लिए एक बहुत ही अच्छा तोता खरीदा है।"
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इस पर मुल्ला बोला, 'ही – हा, मुझे मालूम है, यह तोता बहुत सुंदर है। लेकिन महाशय, एक बात पूछना तो मैं भूल ही गया कि क्या यह तोता बोलता भी है ? '