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में आग लगी हुई थी, और जिस समय वह चिल्लाया था, 'आग-आग!' उसी क्षण उस शहर के लोग सावधान हो गए थे।
स्वीडन की महारानी स्विडनबर्ग से प्रभावित थी। उसने स्विडनबर्ग से कहा, 'क्या आप मुझे ऐसा कोई प्रमाण दे सकते हैं, जिससे मैं यह विश्वास कर सकें कि आपको भूत-भविष्य और वर्तमान का ज्ञान है?' स्विडनबर्ग ने अपनी आंखें बंद कर ली और बोला, 'आपके महल में, जहां कि वह कभी गया नहीं था, क्योंकि उसे महल में पहले कभी बुलाया नहीं गया था, और महल कोई सार्वजनिक स्थान तो था नहीं जहां हर कोई जा सकता हो उसने बताया, 'अमुक कमरे में,' उसने कमरे का नंबर बताया, 'एक दराज है, जिसमें ताला लगा हुआ है और उसकी चाबी फलां-फलां कमरे में है। उस दराज को खोलो। उसमें तुम्हारे पति तुम्हारे लिए एक पत्र छोड़ गए हैं।' स्वीडन की महारानी के पति की मृत्यु हुए करीब बारह वर्ष बीत चुके थे। और पत्र में यह संदेश है.. 'उसने वह संदेश लिखकर दे दिया। कमरा खोजा गया, चाबी खोजी गई, वह दराज खोली गई। और उस दराज में वह पत्र रखा हुआ था और उसमें ठीक वही शब्द लिखे हुए थे जो स्विडनबर्ग ने लिखकर दिए थे।
पतंजलि कहते हैं, अगर 'निरोध' पूर्णता को उपलब्ध हो जाए, तो वही समाधि बन जाता है। अगर समाधि उपलब्ध हो जाए, तो व्यक्ति एकाग्रचित हो जाता है, उसकी चेतना एक तलवार की भांति तेज धार वाली हो जाती है. और उसके साथ ही अतीत और भविष्य के ज्ञान का आविर्भाव हो जाता है। क्योंकि तब समय मिट जाता है और व्यक्ति शाश्वत का हिस्सा हो जाता है। तब न तो अतीत अतीत रह जाता है और न ही भविष्य भविष्य रह जाता है। तब समय मिट जाता है और तीनों एक साथ उपलब्ध हो जाते हैं।
लेकिन इसमें चमत्कार जैसा कुछ भी नहीं है। इसके पीछे सीधा-साफ, आधारभूत नियम है। कोई भी इसे समझकर इसका उपयोग कर सकता है।
'शब्द और अर्थ और उसमें अंतर्निहित विचार, ये सब उलझावपूर्ण स्थिति में, मन में एक साथ चले आते हैं। शब्द पर संयम पा लेने से पृथकता घटित होती है और तब किसी भी जीव दवारा निःसृत ध्वनियों के अर्थ का व्यापक -बोध घटित होता है।'
पतंजलि कहते हैं, अगर व्यक्ति ध्वनि पर संयम को उपलब्ध कर लेता है -अर्थात धारणा, ध्यान और समाधि, अगर इन तीनों को कोई व्यक्ति किसी भी जीवित -प्राणी दवारा बोली गई कोई भी ध्वनि पर एकाग्र कर ले -चाहे वह ध्वनि किसी भी पश् या पक्षी की हो -तो व्यक्ति उसका अर्थ, उसका भाव पहचान लेगा।
पश्चिम में सेंट फ्रांसिस के विषय में ऐसी कथाएं हैं कि वे जानवरों से बातें किया करते थे। यहां तक कि वे गधों से भी बातें करते थे और उन्हें ब्रदर डंकी, कहकर पुकारा करते थे। फ्रांसिस जंगल में चले जाते और पक्षियों से बात करना शुरू कर देते थे और पक्षी उनके चारों ओर मंडराने लगते थे। फ्रांसिस