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पीले मकान के पास दायीं ओर गुड जाना फिर तीन पहाड़ियां पार करने के बाद सड़क जहां दो हिस्सों में बंटती है वहां से दायीं ओर.. ओह नहीं- नहीं ऐसे भी
भोगे।'
मुझे अफसोस है वृद्ध किसान ने बड़ी गंभीरता से सोच- विचार करने के बाद कहा 'तुम यहां
से वहां नहीं पहुंच सकते।
मे यह कथा सदा प्यारी रही है। यह कथा बड़ी सांकेतिक है। मैं इसके अंतिम भाग को फिर से
दोहराता हूं। उसने कहा,'मुझे अफसोस है, तुम यहां से वहा नहीं पहुंच सकते।'
सच तो यह है तुम यहां से केवल यहीं तक पहुंच सकते हो। यहां से वहां तक पहुंचने का कोई उपाय नहीं है। यहां से तुम सदा यहीं तक पहुंच सकते हो -यहां से वहा तक जाने का कोई मार्ग नहीं है। हर पल' अभी' ही मौजूद होता है हमेशा-क्योंकि सदा वर्तमान ही मौजूद होता है। आज से आने वाले कल तक कभी भी पहुंचना संभव नहीं है।
स्मरण रहे, आज के दिन से आज तक ही बार- ते हैं -क्योंकि कहीं कोई आने वाला कल होता नहीं है। आज का दिन ही हमेशा वर्तमान में विद्यमान रहता है, वह शाश्वत होता है। 'अभी' शाश्वत का हिस्सा है, और 'यहीं' ही एकमात्र स्थान है।
कोई आदमी चाहे कितनी ही शराब पी ले, लेकिन कई बार शराबी आदमी बड़े अदभुत सत्य बोल जाते हैं। क्योंकि शराब के नशे में आदमी अरस्तू के तर्क के घेरे में नहीं रह जाता। शायद इसी कारण शराब का, नशीले पदार्थों का इतना आकर्षण है उनसे आदमी तनाव-रहित होकर और विश्रांत हो जाता है। तुम्हारे सिर को तो अरस्तू ने विभाजित कर दिया है-यहां और वहा के बीच, अब और तब के बीच, आज और कल के बीच-शराब के नशे में वह विभाजन मिट जाता है, और आदमी गहरे में स्वयं में प्रतिष्ठित हो जाता है। वह फिर से अपने खोए हुए बचपन को पा लेता है, बचपन में कुछ भी अलग नहीं दिखाई पड़ता था, सभी कुछ एक ही दिखाई पड़ता था, कहीं किसी प्रकार की कोई विभाजन रेखा न थी।
कभी किसी बच्चे को देखना। जब वह सुबह सोकर उठता है तो रो रहा होता है, क्योंकि उसने सपने में देखा है कि उसका खिलौना खो गया है। सच तो यह है बच्चे के लिए सपने में और दिन में कोई भेद नहीं होता है, उन दोनों के बीच कोई सीमा -रेखा नहीं होती है। बच्चे के लिए दिन और सपना एक जैसे ही हैं -बच्चे के लिए स्वप्न और यथार्थ के बीच कहीं कोई सीमा नहीं है। उसके लिए सभी कुछ आपस में परस्पर जुड़ा हुआ है, एक दूसरे में घुला –मिला हुआ है। बच्चा बिलकुल अलग ही संसार में जीता है-उस संसार में जो एक है। उसी संसार में तो रहस्यवादी संत जीते हैं, वही संसार