________________ 6-कोई कैसे चिंता करना छोड़े? 7-क्या मूल्यांकन करने और विवेक करने के बीच कोई अंतर है? 8-पदयसंभव की भविष्यवाणी है कि जब पृथ्वी पर लोहे का पक्षी उड़ेगा, तब धर्म का अवतरण होगा। क्या इस वचन को पूरा करना आपके काम का हिस्सा है? पहला प्रश्न: आपने बहुत बार हमें बताया है कि सत्संग- किसी बुद्ध पुरुष की किसी मुक्त पुरुष की उपस्थिति में होना- कितना अधिक महत्वपूर्ण है फिर भी आपके बहुत से संन्यासी अपना अधिक जीवन आप से दूर ही व्यतीत करते हैं अगर आप पर निर्भर होता तो क्या आप हम सबको यहां पूना में हर समय अपने साथ रहने देते? नहीं। क्योंकि सदगुरु की उपस्थिति में बहुत अधिक जीना भी एक अति हो सकती है। मदद देने की बजाय वह तुम्हें हानि पहुंचा सकती है। हर चीज सदा एक अनुपात में और संतुलन में होनी चाहिए। इसकी संभावना है कि जब कोई चीज मीठी हो तो तुम उसे जरूरत से ज्यादा खा लो। तुम भूल जाओ अपनी आवश्यकता; तुम खूब लूंस-ठूस कर भर लो अपना पेट। और सत्संग मधुर होता है-वह संसार की सबसे मधुर चीज है। वस्तुत: सत्संग मादक होता है, तुम मदहोश हो सकते हो। तब वह तुम्हें मुक्त नहीं करेगा; वह एक नया बंधन निर्मित कर देगा। तो सदगुरु के पास होना बंधन भी हो सकता है, मुक्ति भी, यह निर्भर करता है। केवल पास होने से जरूरी नहीं है कि तुम मुक्त हो ही जाओगे. तुम्हें बदहजमी हो सकती; और तुम आदी हो सकते हो मौजूदगी के। नहीं, वह ठीक नहीं है। जब भी मुझे लगता है कि किसी को जरूरत है अकेले होने की, जब भी मुझे लगता है कि किसी को मुझ से दूर चले जाना चाहिए, तो मैं उसे दूर भेज देता हूं। अच्छा है एक प्यास निर्मित करना, तब तृप्ति भी गहरी होती है। और अगर तुम बहुत ज्यादा मेरे साथ रहते हो तो तुम मुझे भूल भी सकते हो। केवल बदहजमी ही नहीं, हो सकता है तुम मुझे बिलकुल ही भूल जाओ।