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तक और प्रेम करे तुम्हें। तुम सदा ही प्रतीक्षा करते रह सकते हो, क्योंकि वह दूसरा भी भयभीत होता है। और लोग जो भयभीत हैं, एक बात के प्रति तो बिलकुल ही भयभीत हो जाते हैं, और वह है : अस्वीकृत होने का भय।
यदि मैं जाऊं और खटखटाऊं तुम्हारे द्वार, तो संभावना यही होती है कि तुम शायद अस्वीकार ही कर दोगे। वह अस्वीकृति बन जाएगी एक घाव, इसलिए तुम अनुभव करते हो कि न जाना ही बेहतर है। अकेले बने रहना ही बेहतर है। बेहतर है तुम्हारा अपने से ही बढ़ते रहना और दूसरे के साथ अंतरंग न होना क्योंकि दूसरा अस्वीकृत कर सकता है। जिस घड़ी तुम समीप जाते और प्रेम में पहल करते हो, तो पहला भय जो आता है वह यह कि दूसरा तुम्हें स्वीकार करेगा या अस्वीकार कर देगा। वह स्त्री हो या पुरुष, संभावना तो होती है कि करेगा तो शायद अस्वीकार ही।
इसीलिए स्त्रियां कभी पहल नहीं करतीं, वे ज्यादा भयभीत होती हैं। वे सदा प्रतीक्षा करती हैं पुरुष के आने की। वे अस्वीकार करने या स्वीकार करने की संभावना सदा अपने पास ही रखती हैं। दूसरे को कभी संभावना नहीं देतीं, क्योंकि वे पुरुषों की अपेक्षा अधिक भयभीत होती हैं। तो बहुत-सी स्त्रियां उम्र भर इंतजार ही करती रहती हैं। कोई नही आता उनका दवार खटखटाने को, क्योंकि वह व्यक्ति जो भयभीत होता है, एक खास तरह से, इतना बंद हो जाता है कि वह लोगों को दूर करता है। जरा पहुंच जाओ ज्यादा निकट, और भयभीत आदमी ऐसी तरंगें फेंकता है चारों ओर कि कोई जो निकट आ रहा होता है, दूर कर दिया जाता है। भयभीत आदमी दूर सरकने लगता; उस गतिविधि में भी भय होता है।
तम बात करते हो किसी स्त्री से यदि तम उसके लिए किसी प्रकार का प्रेम या स्नेह अनुभव कर रहे होते हो, तो तुम और- और निकट होना चाहोगे। लेकिन देखना स्त्री के शरीर को, क्योंकि शरीर की अपनी भाषा होती है। स्त्री, अनजाने में ही, पीछे की ओर झुक रही होगी। या वह पीछे ही हटने लगेगी। तुम निकट हो रहे हो, तुम ज्यादा निकट पहुंच रहे हो और वह पीछे हट रही होती है। यदि कोई संभावना नहीं होती पीछे हटने की, यदि कोई दीवार वहां होती है, तो वह दीवार के सहारे टेका लगा लेगी। आगे न झुकते हुए, वह दिखा रही होती है, 'चले जाओ। ' वह कह रही होती है, 'मत आओ मेरे निकट।।
जरा देखना लोगों को बैठे हुए, चलते हुए। ऐसे लोग हैं जो बस हर किसी को दूर कर देते हैं। यदि कोई ज्यादा निकट आता है, तो वे भयभीत हो जाते हैं। और भय प्रेम की तरह की ऊर्जा है, एक निषेधात्मक ऊर्जा। वह व्यक्ति जो प्रेम अनुभव कर रहा होता है विधायक ऊर्जा से भरा-पूरा होता है। जब तुम ज्यादा निकट आते हो, तो ऐसा लगता है जैसे कि कोई चुंबक तुम्हें खींच रहा हो। तुम इस व्यक्ति के साथ हो जाना चाहोगे।