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इसे करेगा और रात में वह इसे अनकिया कर देगा। दृढ़ता की जरूरत होती है; निरंतर रूप से चोट करने की जरूरत होती है।
जलालुददीन रूमी का एक छोटा-सा विद्यालय था-बोध का विद्यालय। वह अपने शिष्यों को खेतों की तरफ, फार्म के चारों ओर ले जाया करता था। विशेषकर एक खेत था जहां वह अपने सारे नये शिष्यों को ले जाया करता यह दिखाने के लिए कि वहां क्या होता था। जब कभी कोई नया शिष्य आ जाता, तो वह उसे उस खेत तक ले जाता। वहां देखने को था कुछ लाभप्रद। वह एक किसान के मन की एक निश्चित अवस्था का एक उदाहरण था। किसान कुआं खोद रहा होता, लेकिन वह दस फीट खोदता, और फिर वह अपना मन बदल देता। वह सोचता, 'यह स्थान अच्छा नहीं दिखता', इसलिए वह एक दूसरे गड्डे पर काम शुरू कर देता और फिर किसी दूसरे पर।
बहुत वर्षों तक, वह यही करता रहा होगा। अब वहां आठ अधूरे गड्डे थे। सारा खेत नष्ट हो गया था, और वह नौवें पर कार्य कर रहा था। जलालुददीन अपने नये शिष्यों से कह देता, 'देखो। इस किसान की भांति मत होना। अगर यह अपनी सारी कोशिश एक गड्डा पर लगा देता, तो इस समय तक वह गड्डा कम से कम सौ फीट गहरा हो चुका होता। उसने इतना प्रयत्न किया, बहुत ज्यादा काम किया, पर वह प्रतीक्षा नहीं कर सकता। दस, बारह, पंद्रह फीट, और फिर वह ऊब जाता। फिर यह दूसरे गड्डे पर काम करने लगता। इस ढंग से तो सारा खेत गड्डों से भर जायेगा, और कुआं कभी बनेगा ही नहीं।'
यह कुतूहल वाला आदमी है; सांयोगिक आदमी, जो कतहल के कारण काम करता है। और जब वह आरंभ करता है, तो कहीं ज्यादा जोश होता है उसके पास; वास्तव में, बहुत ज्यादा ही होता है। यह बहुत अधिक जोश एक सातत्य नहीं बन सकता है। वह इतने तीव्र उत्साह और जोश सहित शुरू करता है कि तुम जान लेते हो कि वह जल्दी ही बंद कर देगा।
दूसरे प्रकार का व्यक्ति जो आंतरिक खोज तक पहुंचता है वह है जिज्ञासु व्यक्ति-पूरी खोजबीन करने वाला। वह कुतूहल के कारण नहीं आता। वह गहन प्रश्नों सहित आता है। वह पूरा इरादा रखता है, लेकिन वह भी काफी नहीं है क्योंकि उसका यह इरादा रखना आधारभूत रूप से बौद्धिक होता है। वह दार्शनिक हो सकता है, लेकिन वह धार्मिक व्यक्ति नहीं हो सकता। वह गहराई से प्रश्नपरिप्रश्न करेगा, लेकिन उसकी जांच-पड़ताल बौदधिक होती है। वह मस्तिष्कोमुखी बनी रहती है; यह एक समस्या हो जाती है जिसे कि सुलझाओ।
इसमें जीवन और मृत्यु की बातें संलग्न नहीं होतीं, यह कोई जीवन और मरण का प्रश्न नहीं बनता। यह एक पहेली होती है, एक समस्या। वह इसे हल करने का मजा लेता है उसी तरह जैसे तुम वर्ग-पहेली को हल करने का मजा लेते हो क्योंकि यह तुम्हें एक चुनौती देता है। इसे हल करना ही होता है और अगर इसे हल कर सकी तो तुम बहुत अच्छा अनुभव करते हो। लेकिन यह बात