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वृहत् पूजा-संग्रह श्रीशान्ति० ॥१२॥ शुक्रवार सिद्धयोग कहावे, रचना पूरण हुदी । श्रीशान्ति० ॥ १३ ॥ लाभपूर लाहोर नगरमें, चौमासा आनंदी ॥ श्रीशान्ति० ॥१४॥ कुचर मास्तर धोराजी वासी, विनती सफल लहंदी ॥श्रीशान्ति० ॥१५॥ आतम लक्ष्मी हप अनुपम, वल्लभ मन विकसंदी ॥ श्रीशान्ति० ॥ १६ ॥ भूल चक मिच्चामि दुक्कड, सनमुख शान्ति जिनंदो ॥ श्रीशान्ति० ॥१७॥
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