SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 249
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २३७ श्री आदीश्वर पंचकल्याणक पूजा एक दिवस घर वैद्य के मित्र मिले छः साथ | देखे आए गोचरी, मुनि करुणाके नाथ ॥ ३ ॥ महिधर जीवानदको कहे रोगी मुनि देह | औषध करना योग्य है, जन्म सफल स सनेह ॥ ४ ॥ ॥ ठुमरी ॥ (तर्ज- जावो जावो नेमि पिया - देशी ) मुनि महाराज सेवा शिव सुख खानीरे। मुनि महाराज शिन सुख खानी महानद पद दानीरे मुनि० अंचली ॥ मित्र पटू आवे भावे, बावना चंदन लावे, रतन कंवल तेल लक्षपाक आनीरे सुनि० ॥ १ ॥ मुनि रोग दूर कीनो, निजातम कीनो पीनो । मूल्य देने आए सेठ, आपण पिछानीरे मुनि० ॥ २ ॥ वणिक जना दीनो, वैयावच्च फल लीनो । धन्य भात वारा तुम, धन्य ए जवानीरे मुनि० || ३ || मूल्य नही मैंने लेना, चरणमें चित्त देना । लिया धार टार दिया, जग जानी फानीरे मुनि० ॥ ४ ॥ चंदन काल बेची, निज धन साथ सेचीं । चैत्य अरिहत कियो, भक्ति वंत प्राणी रे मुनि० || ५ || पड मित्र दीक्षा लीनी, आत्म लक्ष्मी चश कीनी । वल्लभ हर्ष मन, सुनि सेवा मानी रे नि० ॥ ६ ॥ "
SR No.034089
Book TitleBruhat Pooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVichakshanashreeji
PublisherGyanchand Lunavat
Publication Year1981
Total Pages474
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy