________________
રર
वृहत् पूजा-संग्रह करि ढोकन विधि एरम विनय धरि, रहिये नित प्रभु
शरणे ॥ हो से० ॥ २ ॥ दुखदल नाशन या पूजन विधि, निति विशद मुख भरणे। चंदकपूर कहत भविजनके, कलिमल माला हरणे ॥ हो से० ॥ ३ ॥
॥काव्य ॥ धवलधाम शिताप्पि समुद्भव । विमल भक्ति धरावित कपुर । र्जिनपते विदधाति विपूजनं । स लभते शिवशं अवशन्नकैः ॥ १॥ ॐ हीं श्रीपर० देशावगाशिक व्रत दृढ़ करणाय नैवेद्य यजामहे स्वाहा ॥ II द्वादश पौषध व्रत ध्वज पूजा ॥
॥दोहा॥ व्रत पौषध इग्यारसो, भावो भविक विधान । ध्यावो ज्यू द्रुत संहरे, प्राकृत कर्म वितान ॥
॥ढाल ॥ (तर्ज-इण सरवरियारी पाल, ऊभा दोय राजवी म्हारा ला० )
सविजन भाव विशाल, प्रमाद निवारिये म्हारा लाल ॥०॥ टेर ॥ पोसह व्रत चित मांहि, विनय धर धारिये ॥ म्हा० वि० ॥ ते पिण दुविध प्रकार, चतुर न विसारिये