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बारह व्रत पूजा
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कुसुम रसकस दीजे, ए चरण विधि निज वशे कोजें ॥ भ० ||२|| इम वास रसे जे जिन पूजे, तिणसे सवि करम सबल घुजे, सुख संपत्ति जाय न घर दूजे ॥ भ० ॥ ३ ॥ सुर किन्नर नर शासन धारे, चिन समय सह सकट वारे, ए पूजन मन वछित सारे ॥ भ० ॥ ४ ॥ विमला कमला सनला पावे, जे प्रभु गुणगण भावन भावे, इन चन्दकपूर सुजस गावे ॥ भै० ॥ ५ ॥ -
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॥ काव्य ॥
-मृगमदावरण मिति, स्वरास "सुचदनसस्कृतं ॥ विधति यो जिनपूजन मजमा, स लमते निभृति किल वामः ॥ ॐ ह्रीं श्रोपर - मृपात्रादत्याग व्रतधारणाय वासक्षेप यजामहे स्वाहा । .
॥ चतुर्थ अदत्तादान विरमणव्रत पुष्पमालपूजा ||
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त्रयमव्रत हित्र मिलो, भासे जगत जिनद | स्तेय करण मंत्र सुख हरण, अष्ट कर्मदलद || ॥ राग सोरठ ॥
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हीरेवाला, पर धन हरण गर्मण करो, घरि त्रिकरण शुद्ध, विलास ए ॥ -हां हो रे घाला, ए मंजल
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