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पंचपरमेष्ठी-पूजा
॥ कलश ॥
॥दोहा॥ अब है पूजा कलशकी, सुणियो तुम नरनार । साभलता सुख पामसो, सफल हुसी अवतार ॥ ऐमी डारु मोहनी, सभा सहु हरखाय । सेनो जगतकी मोहनी, ए जग सार कहाय ॥ मन मांह सिरदार है, पचपरमेष्ठी एह । सरवारथ सिद्धी कयो, गणधर गौतम जेह ॥ जेहने एहनी आसता, तेहने एह सहाय । भागहोन निरयुद्धिक, होत नहीं फल दाय ॥
॥ ढाल प्रश्न तथा उत्तर ॥ चंगीमें चंगी, कौन जगतकी मोहनी, चगीमें चगी, जान जिणदपद मोहनी ॥ १ ॥ सुखी जगसमें कौन कहो मन भावना, सुखी वही ससार परमपद भावना ॥ २ ॥ सर देवनमें देव, बडो कुण जाणना। सर देवनमे देव, पडो जिन जाणना ॥ ३ ॥ सबमें मोटो कौन, कहो मेरो माजना। सबमें मोटो होय, क्षमा गुण साजना ॥ ४ ॥ सबमें मोटो ध्यान, कहो कोन साजना । सनमे मोटो