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( ५ )
इस मन्त्र द्वारा मन्त्र साधने में दूसरों की ओर से मन्त्र बल से किसी प्रकार का कष्ट आने वाला हो तो वह रुक जाता है |
अतः सर्व दिशा के सर्व प्रकार के उपद्रवादि को रोकने के हेतु इस मन्त्र का जाप करना चाहिये, और बाद में सकली करण करके विधी सहित जाप किया जाय तो अवश्य कार्य सिद्ध होगा । पन्च परमेष्टि मन्त्र ।
।। ॐ . सि. प्रा. उ. सा. नमः ।। १६॥
इस पञ्च परमेष्टि जाप्य का मुद्रा सहित ध्यान करे तो मनोवान्छित फल की प्राप्ति होती है । यह महा कल्याणकारी मन्त्र है । इसमें अनेक प्रकार की सिद्धियां समाई हुई हैं । जो कर्म क्षय करने के निमित्त इस मन्त्र का ध्यान करते हैं उनको आवृत से करना चाहिये. और इसी तरह शङ्खावृत विधी से जाप करने का भी बहुत माहात्म्य बताया है। जो शङ्खावृत्त विधी से जाप करते हैं उनको शाकिनि, डाकिनी, भूत, प्र ेत आदि से भय - उपद्रव प्राप्त नहीं होता ।
शङ्खावृत को मध्यमा उङ्गली के बीच के पेरवें से गिनना चाहिये जिसकी समझ शङ्खावृत्त चित्र में दी गई है। जहां एक का अङ्क है वहीं से शुरुआत करना और बारह के श्रङ्को तक गिनना, फिर एक अङ्क से जारी करना । इस तरह नौ वख्त गिनने कमाल पूरी हो जाती है, और शङ्खावृत से गिनने वाला उत्कर्ष स्थिति को पहुंचता है
महारक्षा सर्वोपद्रव शांति मन्त्र । || नमो अरिहन्ताणं शिखायां ।। ॥ नमो सिद्धाणं मुखावरणे ॥ || नमो आयरियाणं श्रङरक्षायां ॥
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