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( ४ ) इस मन्त्र द्वारा शिखा को पवित्र करके बाँधना चाहिये. बांधते समय गांठ न देना यूही लपेटना और स्थिर कर देना।
_ ॥ मुख रक्षा मंत्र । ॐ रगमो उवज्झायारणं एहि एहि भगवति वज्रकवचं वज़िरिण रक्ष रक्ष हूं फट् स्वाहा ॥ १२ ।।
इस मन्त्र द्वारा मुख के तमाम अवयवों की रक्षा भावना भायी जाय ।
॥ इन्द्रस्य कवच मंत्र ॥ ॐ गमो लोए सव्व साहूरणं क्षिप्रं साधय साधय वज्रहस्ते शूलिनि दुष्टं रक्ष रक्ष आत्मानं रक्ष रक्ष ह्रफट् स्वाहा ।। १३ ।।
इस मन्त्र द्वारा देव भय व अन्य कोई उपद्रव उपस्थित न होने की भावना भायी जाय। .... ... -
॥परिवार रक्षा मंत्र ।।.. ॐ अरिहय सर्व रक्ष रक्ष हूं फट् स्वाहा ॥१४॥
इस मंत्र द्वारा कुटुम्ब-परिवार की रक्षा के लिए प्रार्थना करना जिससे मंत्र साध्य समय में कौटम्बिक उपद्रव उपस्थित न हो और मंत्र साधना निर्विघ्नतया सिद्ध हो सके ।
॥ उपद्रव शांति मन्त्र । ॐ ह्रीं क्षों फट् स्वाहा, किटि किटि घातय घातय परं विघ्नान्छिन्द्धि-छिन्द्धि परं मंत्रान् भिन्द्धि भिन्द्धि क्षःफट् स्वाहा ॥१५॥
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