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को विराधना न हो, इस प्रकार उपयोग सहित रखना चाहिये। जैसा मन्त्र हो वैसा ही आलम्बन सामने स्थापित करना जो पाटबाजोट पर हो और आलम्बन के दाहिनी तरफ दीपक रखना जो ,
आलम्बन के चित्र की चक्षु के बराबर याने सीध में रहे धूपअगरबत्ती आलम्बन के बांई तरफ रखना। न द्रव्य की इच्छा वाले को पूर्व दिशा की तरफ मुख रखते हुए बठना चाहिये । सफेद कपड़े सफेद आसन सफेद माला लेना और हिक सुख आदि में भी यही विधान उपयोगी होगा। * कष्ट निवारणार्थ संकट दूर करने हेतु जाप किया जाय तो उत्तर दिशा लाल आसन लाल रङ्ग की माला और कपड़े भी लाले पहन कर जाप करना चाहिये।
अन्य क्रूर कार्य उच्चाटन आदि में दक्षिण दिशा नीले व .. काले रङ्ग का आसन काली माला या नीली आसमानी वर्ण की माला लेनी चाहिये।
किसी कार्य के हेतु पीले रङ्ग का आसन पीली माला पीले कपड़े और पश्चिम दिशा भी ली गयी है । जाप करने से पहले जिस कार्य के लिये जाप करना हो उसके नाम से लेकर अमूक : संख्या में त्रिकाल या प्रांतःकाल जिस तरह जाप करने का विचार हो सङ्कल्प करना चाहिये, और सङ्कल्प के बाद जाप पूरा हो जाने पर किसी उत्तम पुरुष की साक्षी में उत्तर क्रिया याने सिद्धि क्रिया करना चाहिये जिसके अलग अलग विधान है, साध्य कराने वाला जैसा योग्य हो उस मुवाफिक क्रिया करावे और सिद्धि क्रिया में षोडांश जाप अवश्य करना उचित है। सिद्धि क्रिया का समय अर्द्ध रात्रि या पिछली रात्रि का है और प्रतिष्ठा आदि शुभ कार्य के समय तो जैसा समय दिन को या रात को अनुकूल आवे । तदनुसार करने में हर्ज नहीं है। * समाप्त *
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