________________
( ३६ ) ॥अरिहंत सिद्ध प्रायरिय उवझाय साहु ॥ ___ इसका दो सौ बार जाप करे तो उपवास का फल पाते हैं अरिहंत सिद्ध षडाक्षरी मंत्र तीन सौ बार अरहंत चतुरा क्षरी मंत्र चार सौ बार और असिआउसा पञ्चाक्षरी मंत्र पाँच सौ बार जाप करे तो परमार्थ से इसका फल स्वर्ग व मोक्ष का देने वाला होता है और कल्याणकारी है ।
असिआउसा इस पञ्चाक्षरी मंत्र में पञ्च वर्णमयी हाँ ह्री ह ह्रौं ह्र: यह पञ्च तत्व विद्या का निरन्तर जाप किया जाय तो संसार के क्लेश दूर हो जाते हैं।
चार मङ्गल चार लोकोत्तम और चार शरण इन तीन पदों को अव्यग्र मन से अरिहंतादिक चार पदों का
॥अरिहंत सिद्ध साहू ॥ ॥ केवलि पन्नत्तो धम्मो ॥ .
इस प्रकार साथ मिलाकर स्मरण किया जाय तो मोक्ष सुख प्राप्त होता है।
॥ ॐ अरिहंत सिद्ध । ॥ सयोगी केवलि स्वाहा ।
यह पन्द्राक्षरी मन्त्र विद्या का ध्यान करना अति उत्तम और परम पददाता है।
ॐ श्रीं ह्रीं अहँ नमः ॥
इस मंत्र का जाप परम कल्याणकारी है। सर्व ज्ञान प्रकाशक सर्वज्ञ समान यह मंत्र है । इस मंत्र के प्रभाव को सर्वथा कहने
Scanned by CamScanner