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________________ [७] सब से अंतिम विज्ञान - 'मैं, बावा और मंगलदास' ४०३ जाएगा। बावा अब बहुत समय तक नहीं रहेगा। अब बहुत समय तक बावा के रूप में नहीं रहेगा। अब भगवान बन जाएगा। खुद अपनी भूलें देखे तभी से भगवान बनने की तैयारी होने लगती है। अतः इतना देख लेना कि 'अगर कोई मुझे गाड़ी से उतार दे तो क्या होगा। प्रश्नकर्ता : ठीक है, दादा। सामने वाले की पोज़िशन में आ जाना है तुरंत। दादाश्री : हाँ। सामने वाले के प्रति भूल हो जाए तो संभाल लेना। भूल हो जाए तो संभाल लेना इसके बावजूद भी अगर वह अपने आप उलझन में पड़े तो उसके लिए हम ज़िम्मेदार नहीं हैं। यदि हमारी वजह से उलझन में पड़ जाए तो हमारी जोखिमदारी है। कितनी ही भूलें बताई नहीं जा सकतीं और मैं तो इतना नियम वाला हूँ कि उनसे पूछता हूँ कि 'यदि आपको (आपकी) भूल बताऊँ तो आपको बुखार नहीं चढ़ेगा न?' तब अगर वह कहे, 'नहीं दादा। वह तो मुझे आपसे ही जानना है'। तब मैं बता देता हूँ। अब बुखार चढ़ने को रहा ही कहाँ है? जहाँ बावा को खत्म ही हो जाना है, वहाँ। जब तक आप बावा हो तब तक भूल होना संभव है। प्रश्नकर्ता : आपको मुझे भी बताना है दादा, क्योंकि अभी भी, अगर पुद्गल में ऐसी कोई खामी हो जो स्थूल रूप से देखी जा सकती है लेकिन अगर कुछ सूक्ष्म है तो पता नहीं चलता।। दादाश्री : ठीक है। कितने ही दोष दिखने लगे हैं लेकिन अभी भी अंदर कुछ-कुछ रह गए हैं। फिर वे हम बता देते हैं। हमें तो किसी भी प्रकार से बावापन खत्म करना है। बावापन छुट जाना चाहिए। अनंत जन्मों तक यही काम किया था। अब किसी भी तरीके से छूटना ही है। हम सभी का दृढ़ निश्चय है। मैं भूल रहित हो गया इसलिए दूसरों की भूल दिखा सकता हूँ। आपको आपकी भूल पता लगने में देर लगेगी। खुद करे और खुद ही
SR No.034041
Book TitleAptvani 13 Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2018
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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