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________________ २६२ आप्तवाणी-१३ (उत्तरार्ध) इसलिए कि यह जो ज्ञान मिला है, इसके प्रताप से, जागृति के प्रताप से। यह आत्मा की तरफ की दिशा जग गई है। राइट दिशा में और इस रोंग दिशा में थे, वह पूरा ही चेन्ज हो जाता है। 100 परसेन्ट चेन्ज लगता प्रश्नकर्ता : हाँ, चेन्ज हो जाता है, ठीक है। लेकिन चेन्ज कब होता है, जागृति आने के बाद ही चेन्ज होता है न?! दादाश्री : यह ज्ञान देने के बाद उसे जागृति आ ही जाती है। प्रश्नकर्ता : ज्ञान देने के बाद जागृति आ जाती है। उससे धीरेधीरे उसके पूरे जीवन में परिवर्तन आता जाता है। दादाश्री : हाँ, परिवर्तन आता जाता है। फिर खुद के दोष दिखाई देने लगते हैं। इस दनिया में किसी को भी खद के दोष नहीं दिखाई देते। सामने वाले के दोष निकालने हों तो सभी निकाल लेते हैं। यहाँ पर खुद के दोष दिखाई देते हैं, खुद का सबकुछ दिखाई देता है। प्रश्नकर्ता : फिर जब कुछ खराब या गलत, अच्छा या बुरा, उसका पता चलता है तो वह अनुभव कहलाता है न? दादाश्री : नहीं, अनुभव नहीं। बाकी खुद को सब खबर रहती है, पता चलता है, वही आत्मा है लेकिन अभी भी वह आत्मा दर्शनात्मा कहलाता है। बाद में धीरे-धीरे, जैसे-जैसे अनुभव बढ़ता जाएगा वैसेवैसे वह ज्ञानात्मा बनता जाएगा। प्रश्नकर्ता : वह ठीक है, दादा वह अनुभव तो हुआ है कि जब गुस्सा आने वाला हो तो तुरंत ही पता चल जाता है। यह जागृति आ जाती है। दादाश्री : हाँ, तुरंत ही आ जाती है। इस जगत् में यदि ज्ञान नहीं होता न तो उसे खुद की भूल कभी दिखाई ही नहीं देती, अंधा ही रहता। जबकि ज्ञान वाले को सारी भूलें दिखाई देती हैं। बहुत सारी भूलें दिखाई देती हैं। ओहोहो... रोज़ की सौ-सौ भूलें दिखाई देती हैं!
SR No.034041
Book TitleAptvani 13 Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2018
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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