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________________ २१४ आप्तवाणी-९ म्यूज़ियम की शर्ते यह जो ममता होती है वह किस वजह से हो जाती है? सांसारिक स्वभाव से । बंधन-स्वभाव से ममता होती है और बुद्धि ने क्या कुछ कम काम किया है ? बुद्धि से यह पूरा जगत् सुंदर बनाया है ? लेकिन इसमें फँसने को मना किया है। तू देखना, घूमना, खाना, पीना, लेकिन फँसना मत लेकिन फिर भी लोग चिपट जाते हैं। चिपटना मत। चखकर सो जा न! यह दुनिया क्या है? सब से बड़ा म्यूज़ियम ! यह अपने यहाँ बड़ौदा का म्यूज़ियम है न, ऐसा ही एक बड़ा म्यूज़ियम हैं। उस म्यूज़ियम में टिकट लेकर अंदर जाते समय क्या शर्त होती है ? कि 'आप अंदर जाओ। अंदर देखो करो, घूमो, जितने समय तक अंदर सबकुछ न देख लो तब तक घूमो। खाने की चीजें खाओ, पीओ। भले ही चाय पीओ। भूख लगी हो तो नाश्ता करना। भोगने की चीज़ भोगना, लेकिन कुछ लेना मत। अंत में दरवाज़े से बाहर निकलना हो तब कुछ लेकर मत निकलना, वर्ना गुनाह लागू होगा।' तब उसमें जाने के बाद फिर क्या जोड़तोड़ करनी? संग्रहालय में देखते रहना है लेकिन वापस यह धमा-चौकड़ी किसलिए? बाहर निकलते समय कुछ लेकर नहीं जाना है, ऐसे संग्रहालय के अंदर आए हो। तब वह कहता है, 'साहब, हाथ में लेंगे, तब जोड़तोड़ है न।' लेकिन नहीं, मन में भी लेकर नहीं निकलना, और वाणी में भी लेकर नहीं निकलना। कुछ लेना-करना मत। फिर भी इसे भोगने की छूट दी है, तो क्या गलत कहा है? प्रश्नकर्ता : ठीक है। दादाश्री : अब उस तरह से निकल सकते हैं या नहीं निकल सकते? लेकिन लोग तो भरते रहते हैं और कईं तो जेब में भी लेकर आ जाते हैं, लेकिन फिर वहाँ पकड़े जाते हैं। मन में तो बहुत सारे लोग बहुत कुछ ले गए हैं। 'वो वाली जो देखी थी, उसके जैसी तो नहीं है।' तब वह कहेगी, 'उनके जैसे तो मैंने देखे ही नहीं।' अरे क्या करना है उसका?
SR No.034040
Book TitleAptvani 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2018
Total Pages542
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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