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________________ [३] कॉमनसेन्स : वेल्डिंग १९५ ऐसा कुछ भी कहना जिससे हमारे कारण सामने वाले को ज़रा सी भी परेशानी हो, तो वह सब से बड़ा गुनाह है। फिर भी लोग तो कहते ही हैं न! बल्कि ऐसा कहा गया हो तो भी उसे दबा देना चाहिए, उसे इंसान कहते हैं। किसी जगह पर कोई व्यक्ति गरमागरमी में कुछ कह दे, तो भी हमें वह बात दबा देनी चाहिए। वेल्डिंग, सूक्ष्म जोड़ हम तो पहले से ही, ज्ञान होने से पहले ही कोई यदि ऐसी दरार डालने वाली बात कर रहा होता, तो सुनते ही नहीं थे। बल्कि किसी का टूट रहा होता तो जोड़ देते थे, वेल्डिंग कर देते थे लेकिन ज्ञान नहीं था न, इसलिए ऐसे वेल्डिंग करने से हमें तकलीफ बहुत पड़ी। प्रश्नकर्ता : आप कहते हैं कि 'ज्ञान' नहीं था तब 'वेल्डिंग' करने से बहुत तकलीफ पड़ी, वह किस तरह? दादाश्री : बहुत ही अड़चन आई थी। मेरा स्वभाव पहले से ही, बचपन से ही कैसा? वेल्डिंग करने का। किसी जगह पर विवाद खड़ा हो गया तो वेल्डिंग कर देते थे हम। वेल्डिंग तो बहुत ही उच्च गुण है। इसके लिए तो कोई आपत्ति ही नहीं उठाएगा न! वेल्डिंग करने से हमें बहुत तकलीफें पड़ी थीं। फिर भी, वे तकलीफें उठाकर भी वेल्डिंग करते रहे थे। प्रश्नकर्ता : क्या ऐसा हो सकता है कि आप दो लोगों के बीच में मेल-मिलाप करवाने जाओ और एक को अच्छा न लगे? दादाश्री : नहीं, ऐसा नहीं है। वेल्डिंग तो हम इस तरह से करते थे कि उस समय दोनों को अच्छा लगे और दोनों को अच्छा नहीं लगे तो वेल्डिंग हो भी नहीं सकती। वेल्डिंग करना, वह तो एक प्रकार की सिद्धि होती है इंसान के पास। वेल्डिंग तो, दोनों के छोर मिलाकर तुरंत वेल्डिंग कर देते थे लेकिन फिर बाद में उस वेल्डिंग से मुझे बहुत नुकसान हुआ था। हर बार नुकसान, नुकसान और नुकसान ! प्रश्नकर्ता : वह किस तरह ? उसका उदाहरण दीजिए न!
SR No.034040
Book TitleAptvani 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2018
Total Pages542
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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