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आप्तवाणी-९
'कॉमनसेन्स' वाला व्यक्ति 'एवरीव्हेर एडजस्टेबल' होता है। कोई गालियाँ दे तो उसके साथ भी ‘एडजस्ट' होकर कहेगा, ‘आइए, आइए, बैठिए न! कोई बात नहीं।' यानी, 'कॉमनसेन्स' की ज़रूरत पड़ेगी। जबकि यहाँ तो, 'बेअक्ल हो,' ऐसा कहते ही मुँह फूल जाता है। अरे, कॉमनसेन्स नहीं है ? तेरा मुँह किसलिए फूल गया इसमें ?! 'अक्ल वाला हूँ' ऐसा अपने आपको मान बैठा है तू? देखो अक्ल का बोरा! ये आए बड़े अक्ल के बोरे ! बेचने जाएँ तो चार आने भी नहीं आएँ। और बेकार ही अकड़ता रहता है। अक्ल वाला तो 'एवरीव्हेर एप्लिकेबल' वाला होता है। इस काल में तो 'कॉमनसेन्स' मुश्किल हो गया है।
कॉमनसेन्स का अर्थ ठीक से किया है ? यह पहले का अर्थ होगा या नया अर्थ होगा?
प्रश्नकर्ता : मौलिक, नया ही अर्थ है।
दादाश्री : मौलिक है, है न? पहले किसी ने नहीं किया? इस 'कॉमनसेन्स' का अर्थ हमने कहा है न, कि 'एवरीव्हेर एप्लिकेबल, थ्योरीटिकल एज़ वेल एज़ प्रैक्टिकल,' यह सुनकर लोग बहुत खुश हो जाते हैं। 'कॉमनसेन्स का बहुत सुंदर अर्थ निकाला' कहते हैं। तब मैंने कहा, 'यही हमारी मैट्रिक में फेल होने की निशानी है न!'
'कॉमनसेन्स' का प्रमाण और आप तो 'सी.ए.' हैं न! लेकिन अभी तो आपको कितने सारे भाग बींधने पड़ेंगे। सी.ए. के भाग, फिर पत्नी के भाग, सबकुछ आना चाहिए न? वर्ना बीवी तो तेल निकाल देगी। आपको नहीं आता इसलिए न? यदि आता तो कोई तेल नहीं निकालता! और बीवी, वह कहीं तेल निकालने नहीं आई है। वह तो घर बसाने आई है। लेकिन फिर अगर एक 'पार्टी' झुक जाए तो किच-किच करते रहते हैं। हाँ, कुशलता नहीं देखी इसलिए!
ये आज की लड़कियाँ क्या कहती हैं ? मैं पूछता हूँ कि, 'बहन, इन लड़कों के बारे में आपका क्या अभिप्राय है?' तब वे कहती हैं, 'वे