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________________ ५० आप्तवाणी-९ नहीं होते। जबकि स्त्रियों में 'टेन परसेन्ट' होती हैं। स्त्रियों में अधिक होती हैं। त्रागा शब्द का अर्थ पता चला न! वह बहुत पुराने ज़माने के लोगों को पता था। अब त्रागा तो मुझे लगता है कि, आज कल के लड़कों को नहीं आता। त्रागा कैसे आएगा? इनकी तो हड्डियाँ भी इतनी मज़बूत नहीं हैं ! त्रागे वाले की हड्डियाँ तो बहुत मज़बूत ! ये तो ज़रा सा कमज़ोर दिखाई दे तो भी घबरा जाते हैं। प्रकृति में ही गुथा हुआ प्रश्नकर्ता : त्रागा करने वाले को क्या खुद को पता चलता है कि मैं त्रागा कर रहा हूँ? दादाश्री : अवश्य! त्रागा करने का मतलब यही है कि खुद अपनी इच्छापूर्वक करना। लेकिन वह प्रकृति में गुथ चुका होता है न, इसलिए खुद उस पर ध्यान नहीं देता। लेकिन सबकुछ पता चलता है। पता क्यों नहीं चलेगा? छोटे से छोटी चीज़ के बारे में भी समझ सकते हैं, तो फिर त्रागा, तो बहुत बड़ी चीज़ है। त्रागे वाले से सावधान रहेंगे एक त्रागे वाली स्त्री थी, उस स्त्री ने मेरे सामने त्रागा करना शुरू किया और वैसे वह बहन मेरे लिए सम्माननीय थीं। तो मैंने तो उनकी बात नहीं सुनी। फिर वे मुझसे कहने लगीं, 'सिर्फ आप अकेले ही मेरी नहीं सुनते।' मैंने कहा, 'आपकी नहीं सुनता ऐसा नहीं है, ईश्वर की भी नहीं सुनता।' क्योंकि जब वे बहन त्रागा करती थीं, तो तुरंत मुझे समझ में आ जाता था कि ये त्रागा करने लगी हैं। त्रागा यानी सामने वाले को डरा देना। यह तो अब ज्ञानी हुए हैं, वर्ना पहले तो अहंकार था न! तब मैं कहता था कि, 'सिर टकरा। देखते हैं ! सिर फोड़, चल। मुझे डराना चाहते हो?! पूरे जगत् को डराकर मैं ऊपर बैठा हूँ। पूरी दुनिया के त्रागे उतार दूँ ऐसा आदमी हूँ' त्रागे वाले
SR No.034040
Book TitleAptvani 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2018
Total Pages542
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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