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________________ [१] आड़ाई : रूठना : त्रागा कुछ इलाज तो करना पड़ेगा न? क्या यों ही चलता है ? त्रागा करके लोगों को डरा देता है। अरे, यदि एक ही त्रागे वाला इंसान हो, तो वह सौ लोगों को डरा देता है, मटियामेट कर देता है। त्रागा तो, छाती बैठ जाए ऐसा त्रागा करते हैं लेकिन मैं तो ज्ञानवाला हूँ न, इसलिए मुझे ज्ञान हाज़िर हो जाता है कि यह त्रागा कर रहा है। उन दिनों ज्ञान नहीं था न, तो ज्ञान होने से पहले भी मैं सब तरफ से नाप लेता था कि क्या हेतु है और यह किसलिए कर रहा है। तुरंत ऐसा ध्यान में आ जाता था, पता चल जाता था। मैं तो कह देता था। 'बैठ, बैठ, अभी चाय पीते हैं।' तो उसके मन में जो आवेग होता था न, वह उतर जाता था और वह भी घबरा जाता था। उसे त्रागा भारी पड़ा हमारे दोस्त के यहाँ एक स्त्री थी, वह उनकी रिश्तेदार थी या फिर शायद बड़ी बहन थी। अब उसने (मेरे) दोस्त को डराने-धमकाने के लिए ऐसा कपट किया था। बाहरवाला कोई व्यक्ति उनके घर पर गया था, उसकी उपस्थिति में वह स्त्री हाय-हाय करके छाती कूटने लगी। मेरा दोस्त तो घबरा गया और जो नया व्यक्ति आया था, वह भी घबरा गया। फिर वह दोस्त मुझसे मिला था, उसने मुझे यह बात बताई। तब मैंने कहा कि, 'मैं तेरे यहाँ आऊँगा। ऐसा कुछ होने के समय गड़बड़ हो जाए तो मैं आऊँगा।' फिर मैं वहाँ पर गया। तब भी उस स्त्री ने वैसा ही तायफा किया, त्रागा किया! वह स्त्री यों कूदने लगी और मेरा वह दोस्त डरने लगा। तब मैंने उस स्त्री से कहा कि, 'आपको इसमें मज़ा आता है? आप तो बहुत अच्छा कूदती हो। अरे, कूदो न और ज्यादा। इसमें तो बहुत मज़ा आया!' ऐसा सब कहा तो वह स्त्री मुझे गालियाँ देने लगी कि 'आप मेरे यहाँ क्यों आए?' यानी हम ये सभी कारस्तानियाँ (कलाएँ) जानते हैं, ऐसी सभी चाबियाँ जानते हैं। ऐसे त्रागा करने वाले लोग कुछ ही होते हैं, कोई ही व्यक्ति ऐसा होता है। उसमें पुरुषों में 'टू परसेन्ट' ही लोग होते हैं, अधिक
SR No.034040
Book TitleAptvani 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2018
Total Pages542
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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