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शरीर-प्रेक्षा
नाड़ी-तंत्र किसी भी कारण से विफल हो जाए, तो सारे शरीर की प्रवृत्तियां ठप्प हो जाएंगी, सारे अवयव स्तम्भित हो जायेंगे और अन्ततोगत्वा सूक्ष्म प्राणाधार कियाएं बन्द हो जाएंगी। ऐसी स्थिति में न हाथ-पैर हिल सकेंगे, न बैठना-उठना, न मांसपेशियों का संचालन हो सकेगा, न आंखों का उन्मेष-निमेष होगा और यहां तक कि श्वासोच्छवास भी बन्द हो जायेगा।
प्रमस्तिष्क (दायां गोलार्ध)
प्रमस्तिष्क (वायां गोलार्ध)
मेरु-रज्जु
लघु मस्तिष्क
हमारे केन्द्रीय नाड़ा-सस्थान क मुख्य दो अंग हैं१. मस्तिष्क (Brain) २. सुषुम्ना या मेरु-रज्जु (Spinal Cord)
शरीर के भीतर और बाहर से प्राप्त होने वाली सूचनाओं की जांच-पड़ताल कर उन्हें संशोधित करना।
२. पेशी-तंत्र की सक्रियता के द्वारा शारीरिक संचलन का उपादन एवं नियमन करना। मस्तिष्क के कुछ हिस्से संवेगों के नियंत्रण और सूचनाओं के संग्रह के लिए जिम्मेदार होते हैं तथा व्यक्ति एवं बौद्धिकता के साथ भी उनका सम्बन्ध होता है। अनुकंपी-परानुकंपी तंत्रिकाएं
नाड़ी-संस्थान में तंत्रिका तंत्र की कुछ प्रवृत्तियां ऐसी हैं जो स्वतः
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