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प्रेक्षाध्यान सिद्धान्त और प्रयोग
स्नायु-तंत्र प्रभावित होता है मस्तिष्क की तरंगों और मस्तिष्कीय विद्युत् में परिवर्तन जाता है। ऑक्सीजन की खपत कम हो जाती है। अनैच्छिक मांसपेशियों पर नियन्त्रण स्थापित होने लगता है
और स्वायत्त स्नायुतंत्र का उत्तेजना-स्तर गिर जाता है। उनमें स्थिरता आती है। शारीरिक कार्य-क्षमता बढ़ जाती है। श्लेष्म आदि रोगों के क्षीण होने से देह की जड़ता नष्ट
होती है। ___ जागरूकता के कारण बुद्धि की जड़ता नष्ट होती है।
सर्दी-गर्मी आदि द्वंद्वों को सहने की क्षमता बढ़ती है। • चित्त की एकाग्रता सुलभ हो जाती है।
इसकी तीसरी अवस्था में स्थूल शरीर का बोध क्षीण हो जाता है। सूक्ष्म शरीर की सक्रियता बढ़ जाती है और वह कभी-कभी स्थूल शरीर को छोड़कर बाहर चला जाता है। इस स्थिति में सूक्ष्म पदार्थ दृष्टिगत होने लग जाते हैं।
इसकी चतुर्थ अवस्था में आत्मा के चैतन्यमय स्वरूप का प्रत्यक्ष अनुभव हो जाता है। तनाव-मुक्ति
कायोत्सर्ग की पहली और प्रत्यक्ष निष्पत्ति है-तनाव-मुक्ति। जो भी साधक यह साधना करेगा, उसके तनाव धीरे-धीरे विसर्जित हो जाएंगे। कोई कायोत्सर्ग करे और तनाव न मिटे, यह कभी नहीं हो सकता। कायोत्सर्ग तनाव-मुक्ति का अचूक उपाय है। जिन्होंने कायोत्सर्ग का अभ्यास किया है, शरीर के शिथिलीकरण का प्रयत्न किया है, ममत्व के विसर्जन का अभ्यास किया है, उन्होंने यह अनुभव किया है कि शरीर सर्वथा तनाव-मुक्त हो गया है. हल्का हो गया है। कायोत्सर्ग करने वाला मन के बोझ से ऊपर उठ जाता है। यह कायोत्सर्ग का प्रत्यक्ष लाभ है। चंचलता की निवृत्ति
शिथिलीकरण का अर्थ है-चंचलता की निवृत्ति-शरीर पूरा स्थिर हो
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