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:२ : कायोत्सर्ग
वैज्ञानिक दृष्टिकोण दबाव की कार्य-पद्धति
कायोत्सर्ग तनाव-विसर्जन की प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया को सीखना स्वस्थ रहने के लिए सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण बोधपाठ है। कायोत्सर्ग का अभ्यास दबाव द्वारा उत्पन्न हानिकारक प्रभावों को निष्फल करने के लिए किया जाता है। कायोत्सर्ग क्या है ? इसे समझने के लिए पहले समझना आवश्यक है कि 'दबाव' क्या है ? 'दबाव' शब्द भौतिक शास्त्र का शब्द है, जो पदार्थ के किसी भाग पर पड़ने वाले चाप या दाब का द्योतक है। जब किसी भी पदार्थ पर पड़ने वाले दाब से पदार्थ के आकार में परिवर्तन हो जाता है, तो उसे तनाव या टान कहा जाता है। इस प्रकार प्रस्तुत संदर्भ में तनाव का अर्थ होगा-व्यक्ति के सामान्य सुख-चैन पूर्ण जीवन में पैदा होने वाली गड़बड़ यानी बेचैनी। जो भी परिस्थिति हमारी सामान्य विचार-धारा को अस्त-व्यस्त कर दे, उसे 'तनाव पैदा करने वाली' परिस्थिति कहा जाता है। 'दबाव' विषयक अंतर्राष्ट्रीय अधिकृत विद्वान् डॉ. हान्स सेल्ये (Hans Selye) 'दबाव' की परिभाषा इस प्रकार प्रस्तुत करते हैं-'शरीर की टूट-फूट की रफ्तार को दबाव कहते हैं। उनके अनुसार-सर्दी-गर्मी, गुस्सा, मादक वस्तुओं का सेवन, उत्तेजना, दर्द, शोक और हर्ष भी-ये सारे हमारे 'दबाव-तंत्र' को समान रूप से सक्रिय बनाते हैं। आधुनिक मनुष्य के मानस में पैदा होने वाले ईर्ष्या, प्रतिस्पर्धा, घृणा या भय के भाव, सत्ता और संपत्ति के लिए संघर्ष, लालसाएं और वहम भी 'दबाव-तंत्र' को प्रवर्तित कर देते हैं। जब कभी इस प्रकार की तनावोत्पादक परिस्थिति किसी व्यक्ति के सामने उपस्थित होती है, तुरन्त ही एक आन्तरिक तन्त्र स्वतः ही सक्रिय हो उठता है। इस तन्त्र में क्रमशः शरीर के निम्नलिखित हिस्से सक्रिय रूप से भाग लेते हैं
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