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प्रेक्षाध्यान सिद्धान्त और प्रयोग
अभ्यास १. अनपेक्षा की परिभाषा लिखिए और इसका वैज्ञानिक आधार स्पष्ट
कीजिए। २. "अनुप्रेक्षा की पद्धति मनुष्य के स्वभाव-परिवर्तन की अचूक पद्धति है।
इस कथन को उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए। ३. जैन साधना-पद्धति में 'भावनायोग' का स्वरूप एवं महत्त्व स्पष्ट
कीजिए। ४. “प्रेक्षा के पश्चात् अनुप्रेक्षा और अनुप्रेक्षा के पश्चात् प्रेक्षा” ऐसा मानने
का अभिप्राय स्पष्ट कीजिए। ५. अनुप्रेक्षा की निष्पत्ति क्या है ? स्पष्ट कीजिए। ६. “व्याधि, उपाधि और आधि जब निःशेष हो जाती है तब समाधि घटित
होती है।” इस कथन के प्रकाश में व्याधि, उपाधि और आधि का
स्वरूप समझाते हुए बताइए कि ऐसा क्यों माना गया है ? ७. स्वस्थ व्यक्ति, स्वस्थ राष्ट्र और स्वस्थ विश्व के निर्माण में अनप्रेक्षाओं
की साधना का व्यावहारिक महत्त्व प्रकट कीजिए।
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