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चैतन्य-केन्द्र-प्रेक्षा
इस तन्त्र के हार्मोनों के स्रावों का नियमन अधिकांशतः पिच्यूटरी द्वारा होता है। पिच्यूटरी द्वारा स्रावित विविध प्रकार के हार्मोन रक्त-प्रवाह के माध्यम से अन्य ग्रन्थियों तक पहुंच कर उन्हें एक निश्चित प्रकार के हार्मोन को निश्चित मात्रा में स्रावित करने के लिए उत्तेजित करते हैं। ये स्राव पुनः पिच्यूटरी तक पहुचते हैं और यदि उत्पादन आवश्यकता से अधिक हो, तो उत्तेजक रसायनों का निरोध किया जाता है। इस प्रकार फीड-बैक पद्धति और रासायनिक अन्तःसंचार के माध्यम से पिच्यूटरी अन्य ग्रन्थियों के स्रावों का नियमन करती है।
के.मा.स.
.... अवचेतक
पीयूष ग्रन्थि का अग्र भाग
6 (1) Tडिम्बाशय वृषण थायराईड
ऐड्रेनल कार्टेक्स
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लक्ष्य लक्ष्य लक्ष्य ग्रन्थियां : स्थान और कार्य
अन्तःस्रावी तन्त्र की प्रत्येक ग्रन्थि का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है : १. पाइनियल ग्रन्थि
इस ग्रन्थि का स्थान मस्तक के मध्य में होता है। यह परिणाम में बहुत छोटी होती है-लगभग गेहूं के दाने जितनी। पिच्यूटरी ग्रन्थि के पीछे की ओर थोड़ी-सी ऊपर यह ग्रन्थि मस्तिष्क के निचले हिस्से में एक छोटी सी गुफा के आकार वाले छिद्र में छिपी हुई रहती है। इस ग्रन्थि का एक महत्वपूर्ण कार्य गोनाड्स (काम-ग्रन्थियों) के स्रावों का निरोध करना है। इस प्रकार यह ग्रन्थि शैशवावस्था में व्यक्ति की काम-वृत्ति का नियमन कर उसे यौवन-प्राप्ति तक उससे मुक्त बनाए रखती है। यौवन-प्राप्ति के बाद
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