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प्रेक्षाध्यान : सिद्धान्त और प्रयोग
शरीर-प्रेक्षा का सीधा प्रभाव नाडी-तत्र पर पड़ता है। हमारे मस्ति और मन से सबंधित सारी गडबड़ियां नाडी-तंत्र के अवरोधों और विकति के कारण पैदा होती हैं। जब नाड़ी-तंत्र शुद्ध होता है, तो सारी मानसिक बीमारिया (आधियां) स्वतः समाहित हो जाती हैं।
अभ्यास १. मानव-शरीर में नाड़ी-तन्त्र, परिसंचरण-तन्त्र, श्वसन-तन्त्र, पाचन-तन्त्र
तथा विसर्जन-तन्त्र का संक्षिप्त परिचय दीजिए। २. शरीर-प्रेक्षा का तात्पर्य स्पष्ट कीजिए और जैन-दर्शनोक्त तैजस शरीर
और कार्मण शरीर का परिचय दीजिए। ३. आत्मा के दर्शन में शरीर-प्रेक्षा का क्या उपयोग है ? स्पष्ट कीजिए। ४. शरीर-प्रेक्षा से मानसिक एवं शारीरिक चिकित्सा में जो लाभ होते हैं,
उन्हें स्पष्टतया समझाइए।
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