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________________ 1/11-12 52. को वा लौकिकः परीक्षको वा तत्प्रतिभासिनमर्थमध्यक्षमिच्छंस्तदेव प्रमाणमेव तथा प्रत्यक्षप्रकारेण नेच्छेत्! अपि तु प्रतीति प्रमाणयन्निच्छेदेव। अत्रैवार्थे परीक्षकेतरजनप्रसिद्धत्वात् प्रदीपं दृष्टान्तीकरोति? यथैव हि प्रदीपस्य स्वप्रकाशतां प्रत्यक्षतां वा विना तत्प्रतिभासिनोर्थस्य प्रकाशकता प्रत्यक्षता वा नोपपद्यते। तथा प्रमाणस्यापि प्रत्यक्षतामन्तरेण तत्प्रतिभासिनोर्थस्य प्रत्यक्षता न स्यादित्युक्तं प्राक् प्रबन्धेनेत्युपरम्यते। तदेवं सकलप्रमाणव्यक्तिव्यापि साकल्येनाप्रमाणव्यक्तिभ्यो व्यावृत्तं प्रमाणप्रसिद्ध स्वापूर्वार्थव्यवसायात्मकं ज्ञानं प्रमाणलक्षणम्। 52. आचार्य प्रभाचन्द्र कहते हैं कि कौन ऐसा लौकिक या परीक्षक पुरुष है जो प्रतिभासित हुये पदार्थ को तो प्रत्यक्ष माने और जिस ज्ञान के द्वारा पदार्थ को जाना उस ज्ञान को ही प्रत्यक्ष न माने, अर्थात् उसे अवश्य ही ज्ञान को प्रत्यक्ष मानना चाहिए। चाहे वह सामान्यजन हो चाहे परीक्षकजन हो, कोई भी जन क्यों न हो, जब वह उस प्रमाण से प्रतिभासित हुए पदार्थ का साक्षात् होना स्वीकार करता है तो उसे स्वयं ज्ञान का भी अपने आप प्रत्यक्ष होना स्वीकार करना चाहिए। क्योंकि प्रतीति को प्रामाणिक माना गया है जैसी प्रतीति होती है वैसी वस्तु होती है, ऐसा जो मानता है वह ज्ञान में अपने आपसे प्रत्यक्षता होती है ऐसा मानेगा ही। इस विषय का समर्थन करने के लिए परीक्षक और सामान्य पुरुषों में प्रसिद्ध ऐसे दीपक का उदाहरण दिया जाता है, जैसे दीपक में स्व की प्रकाशता या प्रत्यक्षता बिना उसके द्वारा प्रकाशित किये गये पदार्थों में प्रकाशता एवं प्रत्यक्षता सिद्ध नहीं होती है, ठीक उसी प्रकार प्रमाण में भी प्रत्यक्षता हुए बिना उसके द्वारा प्रतीत हुए पदार्थ में भी प्रत्यक्षता नहीं हो सकती, इस विषय पर बहुत अधिक विवेचन पहले कर चुके हैं अतः अब इस प्रकरण का उपसंहार करते हैं। इस प्रकार प्रमाण का लक्षण 'स्वापूर्वार्थव्यवसायात्मकं ज्ञानं प्रमाणं' और इस लक्षण सम्बन्धी विशेषणों का सार्थक विवेचन करने वाले ग्यारह सूत्रों की आचार्य प्रभाचन्द्र ने बहुत विस्तृत टीका की है। 44:: प्रमेयकमलमार्तण्डसारः
SR No.034027
Book TitlePramey Kamal Marttandsara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnekant Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2017
Total Pages332
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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