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________________ (iv ) जैन, डॉ. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी जी आदि विद्वानों से द्रव्यानुयोगतर्कणा, सन्मतितर्कप्रकरण, प्रमेयकमलमार्तण्ड, सप्तभंगीतरंगिणी आदि ग्रन्थ पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। मैंने जब आदरणीय गुरुवर प्रो. दयानन्द भार्गव जी के निर्देशन में नयवाद पर शोधकार्य प्रारम्भ किया, तब उनकी कृपा से मुझे भारतीय दर्शन के विविध मूलग्रन्थों को पढ़ने का विशेष अवसर प्राप्त हुआ। आचार्य हेमचन्द्र की प्रमाण मीमांसा पर वे समणी वर्ग की विशेष कक्षायें लेते थे, उसमें मुझे भी पढ़ने का अवसर मिला। न्याय विषय पर उनके गम्भीर चिन्तन को सुनकर मेरी रुचि इस विषयक अनुसन्धान में निरन्तर बढ़ती ही गयी। उसी दौरान मुझे शोधकार्य के उद्देश्य से जैनन्याय के गौरव ग्रन्थ आचार्य प्रभाचन्द्र कृत प्रमेयकमलमार्तण्ड को मूल पंक्तिशः अध्ययन करने की आवश्यकता महसूस हुयी। गुरु आज्ञा तथा पिताजी की प्रेरणा से इस ग्रन्थ को पढ़ने के लिए मैं पुनः काशी आया। यहाँ सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के आचार्य गुरुवर्य आदरणीय सुधाकर दीक्षित जी ने न्याय पद्धति से आचार्य प्रभाचन्द्र का यह अप्रतिम ग्रन्थ पढ़ाने हेतु स्वीकृत प्रदान कर महती कृपा की। उन्होंने नित्य प्रात:काल की बेला में अत्यन्त वात्सल्य स्नेहपूर्ण भाव से मुझे इस ग्रन्थ की पंक्ति लगाना सिखाया। तभी से मेरे मन में इस ग्रन्थ को छात्रों और अन्य सभी को सरल और सार रूप में प्रस्तुत करने का दृढ़ विचार निरन्तर बना रहा। सन् 2001 में श्री लालबहादुरशास्त्री राष्ट्रिय संस्कृत विद्यापीठ, नई दिल्ली जैसे गौरवपूर्ण विश्वविद्यालय के जैनदर्शन विभाग में व्याख्याता के रूप में मुझे पाठ्यक्रमानुसार यह ग्रन्थ पढ़ाने के लिए पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ। ग्रन्थ का प्रथम परिच्छेद ही पाठ्यक्रम में था और प्रायः हर विश्वविद्यालय में यह ग्रन्थ अत्यन्त विशाल होने से आचार्य की कक्षाओं में इसके कुछ अंशों को ही पाठ्यक्रम में रखा जाता है। मुझे यह बात आरम्भ से ही खटकती रही कि हम विद्यार्थियों को परीक्षामुखसूत्र के प्रत्येक सूत्र पर आचार्य प्रभाचन्द्र की व्याख्या सिर्फ इसीलिए नहीं पढ़ा पाते हैं क्योंकि वह व्याख्या बहुत विस्तृत है तथा कक्षाओं में सम्पूर्ण
SR No.034027
Book TitlePramey Kamal Marttandsara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnekant Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2017
Total Pages332
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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