SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 47
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 14. आह 'सिद्धमल्पम्'। प्रथमविशेषणेन व्युत्पादनवत्तल्लक्षणप्रणयने स्वातन्त्र्यं परिहृतम्। तदेव अकलङ्कमिदं पूर्वशास्त्रपरम्पराप्रमाणप्रसिद्ध लघुपायेन प्रतिपाद्य प्रज्ञापरिपाकाथ व्युत्पाद्यते-न स्वरूचिविरचितंनापिप्रमाणानुपपन्नं-परोपकारनियतचेतसो ग्रन्थकृतो विनेयविसंवादने प्रयोजनाभावात्। तथाभूतं हि वदन् विसंवादकः स्यात्। 15. 'अल्पम्' इति विशेषणेन यदन्यत्र अकलङ्कदेवैर्विस्तरेणोक्तं प्रमाणेतरलक्षणं तदेवात्र संक्षेपेण विनेयव्युत्पादनार्थमभिधीयत इति पुनरुक्तत्वनिरासः। __16. 'विस्तरेणान्यत्रभिहितस्यात्र संक्षेपाभिधाने विस्तररुचि विनेय विदुषां नितरामनादरणीयत्वम्। को हि नाम विशेषव्युत्पत्त्यर्थी प्रेक्षावांस्तत्साधनाऽन्यसद्भावे सत्यन्यत्राऽतत्साधने कृतादरो भवेदित्याह 'लघीयसः'। समान व्यर्थ कहलायेगा। 14. समाधान में आचार्य कहते हैं कि श्लोक में सिद्ध और अल्प ऐसे दो पद दिये हैं। 'सिद्ध' इस विशेषण से व्युत्पादन के समान लक्षण करने में स्वतन्त्रता का निरसन किया है। कहने का तात्पर्य जो पूर्व से सिद्ध है और पूर्व आचार्यों के द्वारा कहा गया है उसी में थोड़ा रच करके शिष्यों को समझाने की दृष्टि से कहा जा रहा है इसमें मेरा मनगढंत कुछ भी नहीं है और न प्रमाण से असिद्ध ही है, क्योंकि परोपकार करने वाले ग्रन्थकार शिष्य को धोखा देने का प्रयोजन नहीं रखते हैं। यदि वे ऐसा करते तो विसंवादक कहलाते। 15. 'अल्पम्' इस विशेषण से जो अन्य ग्रन्थ में अकलंकादि के द्वारा विस्तार से कहा है उन्हीं के उस प्रमाण-प्रमाणाभास के लक्षण को संक्षेप से शिष्य को समझाने के लिए कहा जाता है अतः पुनरुक्त दोष भी नहीं आता है। 16. यहाँ पुनः शंका करते हैं कि जो लक्षण अन्य ग्रन्थों में विस्तार से कहा है उसे ही यहाँ संक्षेप से कहेंगे तो विस्तार रुचि वाले शिष्य उस लक्षण का आदर नहीं करेंगे। जो विशेष अर्थ को जानना चाहते हैं वह उस विशेष ज्ञान के उपायभूत अन्य ग्रन्थ होते हुये इस प्रमेयकमलमार्तण्डसार:: 11
SR No.034027
Book TitlePramey Kamal Marttandsara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnekant Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2017
Total Pages332
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy