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________________ (xvi) आचार्य प्रभाचन्द्र कितने बड़े वैयाकरण थे। 5. प्रवचनसार - सरोज भास्कर यह ग्रन्थ आचार्य कुन्दकुन्द द्वारा रचित ग्रन्थ 'प्रवचनसार' को सरोज की उपमा देकर उस पर रची अपनी टीका को भास्कर (सूर्य) के सदृश प्रकट करने वाला है। 6. समयसार टीका यह आचार्य कुन्दकुन्द द्वारा रचित ग्रन्थ समयसार की टीका है। कहते हैं जिन गाथाओं का स्पष्टीकरण आचार्य अमृतचन्द्र ने नहीं किया उनकी टीका आचार्य प्रभाचन्द्र ने की है। इससे सिद्ध होता है कि इनकी अध्यात्म में कितनी गहरी रुचि थी। 7. पंचास्तिकाय प्रदीप यह ग्रन्थ भी आचार्य कुन्दकुन्द की मूलकृति 'पंचास्तिकाय' पर टीकास्वरूप रचा गया है। यह जीव, पुद्गल, धर्म, अधर्म और आकाश इन पाँचों अस्तिकायों पर उसी प्रकार प्रकाश डालता है जिस प्रकार दीपक वस्तु पर प्रकाश डालता है। 8. लघु द्रव्यसंग्रह वृत्ति यह आचार्य नेमिचन्द्र सैद्धान्तिकदेव द्वारा प्राकृत भाषा में 58 गाथाओं में रचित 'द्रव्य संग्रह' पर टीकास्वरूप वृत्ति है। 9. महापुराण- टिप्पणी महापुराण आचार्य जिनसेन द्वारा रचित महाकाव्य ग्रन्थ है। इस पर प्रभाचन्द्र ने टीका की है। 10. रत्नकरण्ड श्रावकाचार की टीका यह ग्रन्थ आचार्य समन्तभद्र द्वारा रचित 'रत्नकरण्ड श्रावकाचार' की टीका है। पहले यह संस्कृत टीका आचार्य प्रभाचन्द्र द्वारा रचित नहीं मानी जाती थी। ऐसा माना जाता था कि ये प्रभाचन्द्र दूसरे हैं, किन्तु पण्डित कैलाशचन्द्रजी आदि विद्वानों ने सिद्ध कर दिया है कि यह टीका
SR No.034027
Book TitlePramey Kamal Marttandsara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnekant Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2017
Total Pages332
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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