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________________ 3/11 43. तौ निमित्तं यस्य व्याप्ति- ज्ञानस्य तत्तथोक्तम्। व्याप्तिः साध्यसाधनयोरविनाभावः, तस्य ज्ञानमूहः। ___44. न च बालावस्थायां निश्चयानिश्चयाभ्यां प्रतिपन्नसाध्यसाधनस्वरूपस्य पुनर्वृद्धावस्थायां तद्विस्मृतौ तत्स्वरूपोपलम्भेप्यविनाभावप्रतिपत्तेरभावात्तयोस्तदहेतुत्वम्; 45. स्मरणादेरपि तद्धेतुत्वात्। भूयो निश्चयानिश्चयौ हि स्मर्यमाणप्रत्यभिज्ञायमानौ तत्कारणमिति स्मरणादेरपि तन्निमित्तत्वप्रसिद्धिः। 46.मूलकारणत्वेन तूपलम्भादेरत्रोपदेशः, स्मरणादेस्तु प्रकृतत्वादेव तत्कारणत्वप्रसिद्धरनुपदेश इत्यभिप्रायो गुरूणाम्। 43. इस प्रकार के उपलम्भ और अनुपलम्भ है निमित्त जिस व्याप्ति ज्ञान के उसे कहते हैं “उपलम्भानुपलम्भनिमित्तं" यह इस पद का समास है। साध्य और साधन के अविनाभाव को व्याप्ति कहते हैं और उसके ज्ञान को तर्क कहते हैं। 44. शंका- बाल अवस्था में जिस साध्य साधन का स्वरूप उपलम्भ अनुपलम्भ द्वारा निश्चित किया था वह वृद्धावस्था में विस्मृत हो जाने पर उस स्वरूप के उपलब्ध होते हुए भी अविनाभाव का ज्ञान नहीं होता अतः उक्त उपलम्भ अनुपलम्भ व्याप्ति ज्ञान के हेतु नहीं हैं? 45. समाधान-ऐसी आशंका भी नहीं करनी चाहिये, उपलम्भादि के समान स्मरणादि ज्ञानों को भी व्याप्ति ज्ञान का हेतु माना गया है, साध्य के होने पर ही साधन होता है साध्य के अभाव में साधन होता ही नहीं इस प्रकार के स्वरूप वाले निश्चय अनिश्चय को बार-बार स्मरण करते हुए और प्रत्यभिज्ञान करते हुए जीव के व्याप्ति का ज्ञान होता ही है अतः स्मरणादि में भी व्याप्ति ज्ञान का हेतुपना सिद्ध है। 46. व्याप्ति ज्ञान का मूल निमित्त उपलम्भादि होने से उनका सूत्र में उपदेश किया है, स्मरणादि तो प्रस्तुत होने से ही तर्क के निमित्तरूप से सिद्ध है। अतः उनका सूत्र में उल्लेख नहीं किया है, यही आचार्य माणिक्यनन्दी का अभिप्राय है। 96:: प्रमेयकमलमार्तण्डसार:
SR No.034027
Book TitlePramey Kamal Marttandsara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnekant Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2017
Total Pages332
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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