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________________ (xi) डॉ. गुलाबचन्द्र जैन जी के लेख 'आचार्य श्री प्रभाचन्द्र का व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व' के सन्दर्भ में अभी तक उपलब्ध जानकारी के अनुसार आचार्य प्रभाचन्द्र की निम्नलिखित रचनायें हैं 1. प्रमेयकमलमार्त्तण्ड परीक्षामुख व्याख्या, 2. न्यायकुमुदचन्द्र लघीयस्त्रय व्याख्या, 3. तत्त्वार्थवृत्तिपदविवरण सर्वार्थसिद्धि व्याख्या 4. शब्दाम्भोजभास्कर : जैनेन्द्र व्याकरण- व्याख्या, 5. प्रवचनसारसरोजभास्कर प्रवचनसार व्याख्या, 6. समयसारटीका: समयसार व्याख्या, 7. पञ्चास्तिकाय प्रदीप 8. लघु द्रव्यसंग्रह वृत्ति 9. महापुराण - टिप्पण, 10. रत्नकरण्डक श्रावकाचार - टीका, 11. समाधितन्त्र- टीका, : पञ्चास्तिकाय व्याख्या, द्रव्यसंग्रह व्याख्या, 12. आत्मानुशासन- टीका, 13. शाकटायनन्यास : शाकटायन व्याकरण-व्याख्या, 14. क्रियाकलापटीका, 15. गद्यकथाकोष : स्वतन्त्र रचना । इन रचनाओं के माध्यम से आचार्य प्रभाचन्द्र की अगाध विद्वत्ता के साथ ही जैन साहित्य के विकास में उनके योगदान का पता चलता है। 1. प्रमेयकमलमार्त्तण्ड जिस प्रकार प्रातःकाल सूर्य के उदय होने पर कमलों का विकास हो जाता है उसी प्रकार प्रमेय रूपी कमलों को जगत के समक्ष प्रकाशित करने के लिए आचार्य प्रभाचन्द्र की यह कृति मार्त्तण्ड (सूर्य) के समान है। यही ग्रन्थ के नामकरण (प्रमेयकमलमार्त्तण्ड) की सार्थकता है। आचार्य माणिक्यनन्दि कृत 'परीक्षामुख' के सूत्रों पर आचार्य प्रभाचन्द्र
SR No.034027
Book TitlePramey Kamal Marttandsara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnekant Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2017
Total Pages332
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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