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देवता भी अंतर्मुहूर्त में युवा बन जाता है। देवियां-देव सब आते हैं, पूछते हैं किं दच्चा, किम् भोच्चा, किं वा सुकडं कयं-आपने क्या सुपात्र दान दिया था? आपने क्या सुकृत का आचरण किया था? आपने क्या सुकृत की साधना की थी, जिससे आप यहां उत्पन्न हुए हैं? ____ यह प्रश्न एक समाधान भी देता है। देवता अपने अतीत में लौटता है और अपनी साधना का स्वयं साक्षात् करता है।
जम्बूकुमार को पूर्वजन्मों का ज्ञान हुआ और उसका मानस बदल गया। भूमि उर्वरा बन गई। वह । यह जान गया मैं जिस परम्परा से आ रहा हूं
और मैंने जो सुकृत की आराधना की है, उस परम्परा को अब विच्छिन्न नहीं होने देना है। वह परंपरा अविच्छिन्न चले। एक जन्म में साधु बना, दूसरे में साधु बना। मध्य में स्वर्ग में चला गया। यह मेरा मनुष्य का तीसरा जन्म है। इस जन्म में भी उसी परम्परा को अविच्छिन्न रखना है। मन में एक संकल्प जाग गया। उर्वरा ही नहीं बनी, वर्षा भी बरस गई, बीज की बुवाई भी हो गई।
क्या उस बीज को सिंचन मिलेगा? क्या वह वटवृक्ष बनेगा?....
गाथा परम विजय की