________________
गाथा
परम विजय की
भगवान महावीर ने एक महत्त्वपूर्ण सूत्र दिया अप्पणा सच्चमेसेज्जा स्वयं सत्य खोजो। दूसरों ने जो सत्य खोजा है, उसे सुनो, पढ़ो, चिंतन करो, मनन करो किंतु तुम आगे तभी बढ़ पाओगे जब स्वयं उस सत्य को खोज लोगे। फिर वह सत्य पराया नहीं, तुम्हारा अपना बन जाएगा। जब तक सत्य अपना नहीं बनता, पराया रहता है तब तक व्यक्ति खतरे से मुक्त नहीं होता, एक भय बना रहता है।
राजा घोड़ों का बड़ा शौकीन था। एक बार बहुत बढ़िया घोड़े आए। राजा ने कहा- 'घोड़े खरीदूंगा किंतु पहले परीक्षा करूंगा।' ____ चार राजकुमार थे, चारों को बुलाया, कहा-'ये चार घोड़े ले जाओ, परीक्षा करो। परीक्षा के लिए एक सप्ताह का समय है।'
एक सप्ताह बाद राजकुमारों से पूछा-'बोलो, घोड़े कैसे हैं?' पहला राजकुमार बोला-बिल्कुल काम के नहीं हैं।' राजा ने प्रतिप्रश्न किया-क्यों?'
'पिताजी! इतने निकम्मे हैं कि चढ़ने ही नहीं देते। मैं ऊपर चढ़ा और गिरा दिया। फिर चढ़ा, फिर गिरा दिया। ऐसे घोड़े हमें नहीं चाहिए।'
दूसरे और तीसरे राजकुमार का भी वही उत्तर रहा। छोटे राजकुमार ने कहा–'पिताश्री! घोड़े बहुत बढ़िया हैं। ऐसे घोड़े बहुत कम आते हैं।' तीन भाइयों का एक स्वर और छोटे भाई का अलग स्वर।
राजा ने कहा-'यह कैसे? तीन कुमार कह रहे हैं घोड़े खराब हैं और तुम कह रहे हो बहुत अच्छे हैं। क्या तुम्हें घोड़े ने गिराया नहीं?'
'नहीं!'
७७